'सच्ची लगन और एक निष्ठा के साथ विवेकपूर्ण प्रयत्न करने से ही सफलता प्राप्त होती है |
एक लड़के ने बहुत धनी आदमी देखकर धनवान बनने का निश्चय किया | कई दिन तक वह कमाई में लगा रहा | इसी बीच उसकी भेंट एक विद्वान् से हो गई ,अब उसने विद्वान् बनने का निश्चय किया और कमाई छोड़कर पढ़ने में लग गया | अभी कुछ ही पढ़ पाया था कि उसकी भेंट एक संगीतज्ञ से हुई | उसे संगीत में आकर्षण दिखा तो पढ़ाई बंद कर संगीत सीखने लगा |
बहुत उम्र बीत गई ,न वह धनी हो सका न विद्वान् और न ही संगीत सीख पाया | तब उसे बड़ा दुःख हुआ | एक दिन उसकी एक महात्मा से भेंट हुई ,उसने अपने दुःख का कारण बताया |
महात्मा बोले -"बेटा !दुनिया बड़ी चिकनी है ,जहां जाओगे कोई न कोई आकर्षण दिखाई देगा | एक निश्चय कर लो और फिर जीते -जी उसी पर अमल करते रहो तो तुम्हारी उन्नति अवश्य हो जायेगी | बार -बार रूचि बदलते रहने से कोई भी उन्नति न कर पाओगे | "युवक समझ गया और अपना एक उद्देश्य निश्चित कर उसी का अभ्यास करने लगा |
मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण तभी होता है जब उसकी स्वाभाविक प्रवृतियाँ एक लक्ष्य को द्रष्टि में रखकर व्यवस्थित की जाती हैं |
एक लड़के ने बहुत धनी आदमी देखकर धनवान बनने का निश्चय किया | कई दिन तक वह कमाई में लगा रहा | इसी बीच उसकी भेंट एक विद्वान् से हो गई ,अब उसने विद्वान् बनने का निश्चय किया और कमाई छोड़कर पढ़ने में लग गया | अभी कुछ ही पढ़ पाया था कि उसकी भेंट एक संगीतज्ञ से हुई | उसे संगीत में आकर्षण दिखा तो पढ़ाई बंद कर संगीत सीखने लगा |
बहुत उम्र बीत गई ,न वह धनी हो सका न विद्वान् और न ही संगीत सीख पाया | तब उसे बड़ा दुःख हुआ | एक दिन उसकी एक महात्मा से भेंट हुई ,उसने अपने दुःख का कारण बताया |
महात्मा बोले -"बेटा !दुनिया बड़ी चिकनी है ,जहां जाओगे कोई न कोई आकर्षण दिखाई देगा | एक निश्चय कर लो और फिर जीते -जी उसी पर अमल करते रहो तो तुम्हारी उन्नति अवश्य हो जायेगी | बार -बार रूचि बदलते रहने से कोई भी उन्नति न कर पाओगे | "युवक समझ गया और अपना एक उद्देश्य निश्चित कर उसी का अभ्यास करने लगा |
मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण तभी होता है जब उसकी स्वाभाविक प्रवृतियाँ एक लक्ष्य को द्रष्टि में रखकर व्यवस्थित की जाती हैं |
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