युगों पहले यक्ष ने युधिष्ठिर से यह सवाल पूछा था कि -'सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?'धर्म का मर्म जानने वाले युधिष्ठिर ने इस सवाल के उत्तर में यक्ष से कहा था -"हजारों लोगों को रोज मरते हुए देखकर भी अपनी मौत से अनजान बने रहना ,खुद को मौत से मुक्त मान लेना ,जीते रहने की लालसा में अनेको दुष्कर्म करते रहना ही सबसे बड़ा आश्चर्य है | "
अनेकों शव यात्राएँ रोज निकलती हैं ,ढेरों लोग इनमे शामिल भी होते हैं | इसके बावजूद भी वे अपनी शव यात्रा की कल्पना नहीं कर पाते | काश !अपनी मौत के कदमों की आहट सुनी जा सके तो निश्चित ही जीवन द्रष्टि संसार से हटकर सत्य पर केन्द्रित हो सकती है |
दार्शनिक च्वान्गत्से को रात्रि के समय कब्रिस्तान से होकर गुजरते समय पैर में ठोकर लगी ,टटोल कर देखा तो किसी मुर्दे की खोपड़ी थी | उठाकर उनने उसे झोली में रख लिया और सदा साथ रखने लगे | शिष्य ने उनसे पूछा -यह इतना गंदा और कुरूप है ,इसे आप साथ क्यों रखते हो ?च्वान्गत्से ने उत्तर दिया -"यह मेरे दिमाग का तनाव दूर करने की अच्छी दवा है | जब अहंकार का आवेश चढ़ता है ,लालच सताता है ,तो इस खोपड़ी को गौर से देखता हूँ | कल परसों अपनी भी ऐसी ही दुर्गति होगी तो अहंकार और लालच किसका किया जाये ?"
अनेकों शव यात्राएँ रोज निकलती हैं ,ढेरों लोग इनमे शामिल भी होते हैं | इसके बावजूद भी वे अपनी शव यात्रा की कल्पना नहीं कर पाते | काश !अपनी मौत के कदमों की आहट सुनी जा सके तो निश्चित ही जीवन द्रष्टि संसार से हटकर सत्य पर केन्द्रित हो सकती है |
दार्शनिक च्वान्गत्से को रात्रि के समय कब्रिस्तान से होकर गुजरते समय पैर में ठोकर लगी ,टटोल कर देखा तो किसी मुर्दे की खोपड़ी थी | उठाकर उनने उसे झोली में रख लिया और सदा साथ रखने लगे | शिष्य ने उनसे पूछा -यह इतना गंदा और कुरूप है ,इसे आप साथ क्यों रखते हो ?च्वान्गत्से ने उत्तर दिया -"यह मेरे दिमाग का तनाव दूर करने की अच्छी दवा है | जब अहंकार का आवेश चढ़ता है ,लालच सताता है ,तो इस खोपड़ी को गौर से देखता हूँ | कल परसों अपनी भी ऐसी ही दुर्गति होगी तो अहंकार और लालच किसका किया जाये ?"
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