वटवृक्ष की पूजा होते देख रेगिस्तान को क्रोध आया | पूजा करते लोगों को लताड़ कर बोला--" मूर्खों एक पेड़ की क्या पूजा करते हो ? मुझे देखो ! मेरा विस्तार मीलों में है, उसमे एक नहीं अनेकों पेड़ समा जायेंगे | "
ऊपर फैले हुए आसमान ने रेगिस्तान से कहा--" बंधु अभिनंदन विस्तार का नहीं, विशालता का होता है | वटवृक्ष तुमसे विस्तार में छोटा ही सही , परअपने ह्रदय की विशालता के कारण सैकड़ों को जीवन और आश्रय प्रदान करता है | ये पूजा उसी सह्रदयता की है | "
ऊपर फैले हुए आसमान ने रेगिस्तान से कहा--" बंधु अभिनंदन विस्तार का नहीं, विशालता का होता है | वटवृक्ष तुमसे विस्तार में छोटा ही सही , परअपने ह्रदय की विशालता के कारण सैकड़ों को जीवन और आश्रय प्रदान करता है | ये पूजा उसी सह्रदयता की है | "
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