महान वैज्ञानिक आइन्स्टीन कहा करते थे --- " हर व्यक्ति जिससे मैं मिलता हूँ , किसी न किसी बात में मुझसे श्रेष्ठ है l वही मैं उससे सीखने की कोशिश करता हूँ l "
एक बार वे किसी दूसरे देश में एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में गए हुए थे l इस विश्वविद्यालय ने उनके लिए एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया था l एक दिन सायं वे अपने व्याख्यान को समाप्त कर घूमने के लिए निकले l राह में उन्होंने देखा कि एक कुम्हार मिट्टी के बरतन बना रहा है l काफी देर तक खड़े वे उसका कौशल देखते रहे l फिर उन्होंने उससे कहा ---- " ईश्वर की खातिर मुझे भी अपना बनाया हुआ बरतन देंगे l " उनके मुख से ईश्वर का नाम सुनकर वह कुम्हार चौंका , फिर उसने अपने बनाये बरतनों में से एक सबसे सुन्दर बरतन उठाया और उसे साफ कर के बड़े ही सुन्दर ढंग से आइन्स्टीन हाथों में थमाया l उस बरतन को हाथ में लेने के बाद उन महान वैज्ञानिक ने उसे देने के लिए पैसे निकाले, परन्तु उस कुम्हार ने पैसे लेने से इनकार करते हुए कहा --- " महोदय ! आपने तो ईश्वर की खातिर बरतन देने को कहा था , पैसों की खातिर नहीं l "
आइन्स्टीन अपनी मित्र मंडली में इस घटना का जिक्र करते हुए कहते थे --- " जो मैं कभी किसी विश्वविद्यालय में नहीं सीख सका , वह मुझे इस कुम्हार ने सिखा दिया l मैंने उससे निष्काम ईश्वर भक्ति सीखी l "
एक बार वे किसी दूसरे देश में एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में गए हुए थे l इस विश्वविद्यालय ने उनके लिए एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया था l एक दिन सायं वे अपने व्याख्यान को समाप्त कर घूमने के लिए निकले l राह में उन्होंने देखा कि एक कुम्हार मिट्टी के बरतन बना रहा है l काफी देर तक खड़े वे उसका कौशल देखते रहे l फिर उन्होंने उससे कहा ---- " ईश्वर की खातिर मुझे भी अपना बनाया हुआ बरतन देंगे l " उनके मुख से ईश्वर का नाम सुनकर वह कुम्हार चौंका , फिर उसने अपने बनाये बरतनों में से एक सबसे सुन्दर बरतन उठाया और उसे साफ कर के बड़े ही सुन्दर ढंग से आइन्स्टीन हाथों में थमाया l उस बरतन को हाथ में लेने के बाद उन महान वैज्ञानिक ने उसे देने के लिए पैसे निकाले, परन्तु उस कुम्हार ने पैसे लेने से इनकार करते हुए कहा --- " महोदय ! आपने तो ईश्वर की खातिर बरतन देने को कहा था , पैसों की खातिर नहीं l "
आइन्स्टीन अपनी मित्र मंडली में इस घटना का जिक्र करते हुए कहते थे --- " जो मैं कभी किसी विश्वविद्यालय में नहीं सीख सका , वह मुझे इस कुम्हार ने सिखा दिया l मैंने उससे निष्काम ईश्वर भक्ति सीखी l "
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