थोरो ने कहा था ---- " लोकतंत्र पर मेरी आस्था है , पर वोटों से चुने गए व्यक्ति स्वेच्छाचार करें मैं यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता l राज संचालन उन व्यक्तियों के हाथ में होना चाहिए जिनमे मनुष्य मात्र के कल्याण की भावना और कर्तव्य - परायणता विद्दमान हो और जो उसकी पूर्ति के लिए त्याग भी कर सकते हों l
किसी ने कहा ---- " यदि ऐसा न हुआ तो ? "
थोरो का कहना था ---- " तो उस राजसत्ता के साथ हम कभी भी सहयोग नहीं करेंगे चाहे उसमे हमें कितना ही कष्ट क्यों न उठाना पड़े l " इसके लिए उन्होंने जो कदम उठाया वह विध्वंसात्मक नहीं लोकतान्त्रिक था l ' सविनय असहयोग के तत्वदर्शन की शक्ति को सबने जाना l महात्मा गाँधी ने यह मन्त्र उन्ही से पाया जिसके सामने ब्रिटिश सामंतशाही को झुकना पड़ा l
किसी ने कहा ---- " यदि ऐसा न हुआ तो ? "
थोरो का कहना था ---- " तो उस राजसत्ता के साथ हम कभी भी सहयोग नहीं करेंगे चाहे उसमे हमें कितना ही कष्ट क्यों न उठाना पड़े l " इसके लिए उन्होंने जो कदम उठाया वह विध्वंसात्मक नहीं लोकतान्त्रिक था l ' सविनय असहयोग के तत्वदर्शन की शक्ति को सबने जाना l महात्मा गाँधी ने यह मन्त्र उन्ही से पाया जिसके सामने ब्रिटिश सामंतशाही को झुकना पड़ा l
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