प्रशंसा झूठी हो तब भी अच्छी लगती है क्योंकि प्रशंसा अहंकार को फुसलाती है , प्रसन्न करती है l मूढ़ - से - मूढ़ आदमी को बुद्धिमान कहो तो उसकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता l प्रशंसा जितनी झूठ के करीब होती है उतना ही सुख देती है , इसलिए जो व्यक्ति अहंकारी होते हैं वे हमेशा चिंतित रहते हैं , उन्हें हमेशा यही परेशानी बनी रहती है कि कौन क्या कह रहा है ? कौन सम्मान कर रहा है ? कौन अपमान कर रहा है ? कौन उनकी बात को आँखें मूँद कर मान रहा है ? कौन सही - गलत के आधार पर तर्क प्रस्तुत कर रहा है ? अहंकारी का व्यक्तित्व हमेशा दूसरों पर निर्भर रहता है l अहंकार औरों पर निर्भर होता है l
लेकिन जो ईश्वर का भक्त है , भगवान की शरण में श्रद्धा भाव से रहता है उसे इस बात की चिंता या परवाह नहीं होती कि लोग क्या कहते है l
लोग कुछ भी कहें , कहते रहें वह निंदा और प्रशंसा के प्रति तटस्थ रहता है l ईश्वर के विश्वास और उनकी शरण में रहता है l
अहंकारी के लिए भी यही उचित है कि वह अपना अहंकार छोड़कर वास्तविकता के धरातल पर रहे l यद्दपि यह कार्य बहुत कठिन है लेकिन जरुरी है l अहंकारी व्यक्ति समाज के लिए तो कष्टकारक है ही , इसके साथ वह स्वयं अपने लिए भी हानिकारक है क्योंकि यह संसार बहुत स्वार्थी है , लोग अहंकारी की इस कमजोरी का फायदा उठाकर , उसकी झूठी तारीफ कर के , चापलूसी कर के अपना मतलब सिद्ध करते हैं l समाज में ऐसे अनेकों महामानव हैं , जिन्हें कल पूजा जा रहा था , आज वे जेल में बंद हैं , लोग उन्हें गाली देते हैं , उनके ऊपर जूते फेंकते हैं l
मनुष्य का सच्चा हित निष्काम कर्म में है , अहंकार में नहीं l
लेकिन जो ईश्वर का भक्त है , भगवान की शरण में श्रद्धा भाव से रहता है उसे इस बात की चिंता या परवाह नहीं होती कि लोग क्या कहते है l
लोग कुछ भी कहें , कहते रहें वह निंदा और प्रशंसा के प्रति तटस्थ रहता है l ईश्वर के विश्वास और उनकी शरण में रहता है l
अहंकारी के लिए भी यही उचित है कि वह अपना अहंकार छोड़कर वास्तविकता के धरातल पर रहे l यद्दपि यह कार्य बहुत कठिन है लेकिन जरुरी है l अहंकारी व्यक्ति समाज के लिए तो कष्टकारक है ही , इसके साथ वह स्वयं अपने लिए भी हानिकारक है क्योंकि यह संसार बहुत स्वार्थी है , लोग अहंकारी की इस कमजोरी का फायदा उठाकर , उसकी झूठी तारीफ कर के , चापलूसी कर के अपना मतलब सिद्ध करते हैं l समाज में ऐसे अनेकों महामानव हैं , जिन्हें कल पूजा जा रहा था , आज वे जेल में बंद हैं , लोग उन्हें गाली देते हैं , उनके ऊपर जूते फेंकते हैं l
मनुष्य का सच्चा हित निष्काम कर्म में है , अहंकार में नहीं l
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