महात्मा गाँधी के अहिंसा के विचार को वे पसंद करते थे किन्तु जब उन्होंने असहयोग की घोषणा कर के लड़कों को स्कूल और कॉलेज छोड़ने को कहा , विलायती कपड़ों की होली जलाने का कार्यक्रम आरम्भ किया तो महाकवि ने उसका विरोध किया l वे कहते थे कि इस प्रकार लड़कों को भड़काने से वे आवारा बन जायेंगे l वस्त्र बहिष्कार और चरखा के सम्बन्ध में वे कहते थे ----- " गांधीजी मशीनों के खिलाफ हैं तो मेरी भी वही सम्मति है पर हमारी बुराइयों की जड़ तो भीतरी कमजोरी है l हम चलने , बोलने और हंसने में भी डरते हैं l अंग्रेज सरकार के हुक्म पर उठते बैठते हैं l हमारी अपनी ताकत कुछ भी नहीं l हम कायर हैं , सरकार से हर बात में डरते रहते हैं l इस जबरदस्ती के मैं विरुद्ध हूँ l लोगों के विचारों पर नियंत्रण ठीक नहीं है l इस तरह यदि हमको स्वतंत्रता मिल भी जाएगी तो भी हम सच्चे अर्थों में स्वतंत्र न हो सकेंगे l "
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