चुप रहकर मन में ईर्ष्या - द्वेष का बीज बोते रहने को मौन नहीं कहा जाता l यह तो और भी खतरनाक व हानिकारक सिद्ध हो सकता है l मौन के साथ श्रेष्ठ चिंतन और ईश्वर स्मरण आवश्यक है तभी मौन की सार्थकता है l ऐसे सार्थक मौन से आत्मशक्ति उत्पन्न होती है l मौन रहकर श्रेष्ठ चिंतन करने से आंतरिक ऊर्जा व्यर्थ के नकारात्मक विचारों में नष्ट नहीं हो पाती l प्रत्येक श्रेष्ठ और महान कार्य की सफलता में गंभीर मौन सहायक रहा है l
अरुणाचलम के महर्षि रमण सदैव मौन रहते थे l बिना बोले वह हरेक की जिज्ञासा को शांत करते और हर कोई उनसे अपनी गंभीर समस्या का समाधान अनायास पा जाता था l
महात्मा गाँधी के मौन का प्रभाव विलक्षण और अद्भुत था l अत: सप्ताह में एक निश्चित दिन कुछ घंटे मौन अवश्य रहना चाहिए l
अरुणाचलम के महर्षि रमण सदैव मौन रहते थे l बिना बोले वह हरेक की जिज्ञासा को शांत करते और हर कोई उनसे अपनी गंभीर समस्या का समाधान अनायास पा जाता था l
महात्मा गाँधी के मौन का प्रभाव विलक्षण और अद्भुत था l अत: सप्ताह में एक निश्चित दिन कुछ घंटे मौन अवश्य रहना चाहिए l
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