आज व्यक्ति के जीवन में भौतिक सुख - सुविधा एवं समृद्धि के नाम पर बहुत कुछ है , किन्तु नैतिक मूल्यों की कसौटी पर स्थिति दिवालियापन की है l
शारीरिक और बौद्धिक विकास पर तो ध्यान दिया जा रहा है किन्तु भावनात्मक एवं मानसिक विकास उपेक्षित है l मानवीय मूल्यों के पतन के कारण ही आज धरती पर युद्ध , बहशीपन , शोषण - उत्पीड़न की घटनाएँ बढ़ी हैं l मनुष्य अभी भी अपनी आदिम - अवस्था से बाहर नहीं निकला है l विशेष रूप से नारी के प्रति जो सोच है , उसके शोषण और उत्पीड़न के जो तरीके हैं उसने उसके मानव होने पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है l
' लक्ष्मी ' का अर्थ --- केवल धन-वैभव नहीं है l ' लक्ष्मी ' का अर्थ है --- धन - संपदा के साथ सुख -समृद्धि और मानसिक शांति हो , सुकून का जीवन हो l लेकिन आज पारिवारिक हिंसा है , हर व्यक्ति तनाव से पीड़ित है , लाइलाज बीमारियाँ हैं , ऐसा क्यों है ? ----
एक कथा है ----- लक्ष्मी जी असुरों का वास स्थान सदैव के लिए परित्याग कर देवताओं के आश्रम में आ गईं l देवराज ने असुरों के पास से चले आने का कारण पूछा तो महालक्ष्मी ने कहा ----- " देवराज ! जब किसी राष्ट्र में प्रजा सदाचार खो देती है तो वहां की भूमि , जल , अग्नि कुछ भी मुझे पसंद नहीं l व्यक्ति के सदाचारी मानस में ही मैं अटल निवास करती हूँ l जहाँ लोग नीतिपूर्वक रहते है और परिश्रमपूर्वक अपना उद्दोग करते रहते हैं , उस स्थान को मैं कभी नहीं छोड़ती , लेकिन जहाँ पर आक्रमण , वैरभाव , हिंसा , क्रोध , प्रमाद , शोषण , अत्याचार आदि बढ़ जाते हैं , उस स्थान को छोड़कर मैं तत्काल चली जाती हूँ l मैं शुभ कार्यों से उत्पन्न होती हूँ , उद्दोग से बढ़ती हूँ , और संयम से स्थिर रहती हूँ l जहाँ इन गुणों का अभाव होता है उस स्थान को छोड़ जाती हूँ l " यही है मेरे द्वारा असुरों का निवास छोड़ने का कारण l
शारीरिक और बौद्धिक विकास पर तो ध्यान दिया जा रहा है किन्तु भावनात्मक एवं मानसिक विकास उपेक्षित है l मानवीय मूल्यों के पतन के कारण ही आज धरती पर युद्ध , बहशीपन , शोषण - उत्पीड़न की घटनाएँ बढ़ी हैं l मनुष्य अभी भी अपनी आदिम - अवस्था से बाहर नहीं निकला है l विशेष रूप से नारी के प्रति जो सोच है , उसके शोषण और उत्पीड़न के जो तरीके हैं उसने उसके मानव होने पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है l
' लक्ष्मी ' का अर्थ --- केवल धन-वैभव नहीं है l ' लक्ष्मी ' का अर्थ है --- धन - संपदा के साथ सुख -समृद्धि और मानसिक शांति हो , सुकून का जीवन हो l लेकिन आज पारिवारिक हिंसा है , हर व्यक्ति तनाव से पीड़ित है , लाइलाज बीमारियाँ हैं , ऐसा क्यों है ? ----
एक कथा है ----- लक्ष्मी जी असुरों का वास स्थान सदैव के लिए परित्याग कर देवताओं के आश्रम में आ गईं l देवराज ने असुरों के पास से चले आने का कारण पूछा तो महालक्ष्मी ने कहा ----- " देवराज ! जब किसी राष्ट्र में प्रजा सदाचार खो देती है तो वहां की भूमि , जल , अग्नि कुछ भी मुझे पसंद नहीं l व्यक्ति के सदाचारी मानस में ही मैं अटल निवास करती हूँ l जहाँ लोग नीतिपूर्वक रहते है और परिश्रमपूर्वक अपना उद्दोग करते रहते हैं , उस स्थान को मैं कभी नहीं छोड़ती , लेकिन जहाँ पर आक्रमण , वैरभाव , हिंसा , क्रोध , प्रमाद , शोषण , अत्याचार आदि बढ़ जाते हैं , उस स्थान को छोड़कर मैं तत्काल चली जाती हूँ l मैं शुभ कार्यों से उत्पन्न होती हूँ , उद्दोग से बढ़ती हूँ , और संयम से स्थिर रहती हूँ l जहाँ इन गुणों का अभाव होता है उस स्थान को छोड़ जाती हूँ l " यही है मेरे द्वारा असुरों का निवास छोड़ने का कारण l
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