सार्थक मौन उसे कहते हैं जब मन में श्रेष्ठ चिंतन और ईश्वर स्मरण चलता रहे l
जब व्यक्ति बोलता है तो जिह्वा हावी रहती है लेकिन मौन की अवस्था में अंतर बोलता है , हमें अपने अंतर को बोलने का मौका देना चाहिए क्योंकि इसी में जीवन का सारा मर्म छुपा है l
गांधीजी के मौन का प्रभाव ऐसा विलक्षण और अद्भुत था जिसने कभी न अस्त होने साम्राज्य को पराजय का कडुआ घूंट पिला ही दिया l
अरुणाचलम के महर्षि रमण सदैव मौन रहते थे l परन्तु उनका मौन उपदेश आत्मा की गहराई में उतर जाता था l हर कोई उनसे अपनी गंभीर समस्या का समाधान अनायास ही पा जाता था l अंग्रेजी साहित्य के महान कवि वर्ड्सवर्थ अपने काव्य को मौन और नीरवता का वरदान कहा करते थे l
जीवन में श्रेष्ठ एवं सार्थक कार्य के लिए मौन को एक व्रत मानकर अपनाना चाहिए l
जब व्यक्ति बोलता है तो जिह्वा हावी रहती है लेकिन मौन की अवस्था में अंतर बोलता है , हमें अपने अंतर को बोलने का मौका देना चाहिए क्योंकि इसी में जीवन का सारा मर्म छुपा है l
गांधीजी के मौन का प्रभाव ऐसा विलक्षण और अद्भुत था जिसने कभी न अस्त होने साम्राज्य को पराजय का कडुआ घूंट पिला ही दिया l
अरुणाचलम के महर्षि रमण सदैव मौन रहते थे l परन्तु उनका मौन उपदेश आत्मा की गहराई में उतर जाता था l हर कोई उनसे अपनी गंभीर समस्या का समाधान अनायास ही पा जाता था l अंग्रेजी साहित्य के महान कवि वर्ड्सवर्थ अपने काव्य को मौन और नीरवता का वरदान कहा करते थे l
जीवन में श्रेष्ठ एवं सार्थक कार्य के लिए मौन को एक व्रत मानकर अपनाना चाहिए l
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