कहते हैं स्वार्थी , अनीतिवान तथा कायर व्यक्ति के पास छल - कपट के सिवा कोई और संबल नहीं होता l छत्रपति शिवाजी की ताकत , उनकी वीरता और सफल राजनीति से बीजापुर का नवाब आदिलशाह जल गया और उसने उनको छल - प्रपंच से परास्त करने का षड्यंत्र रचा ----- सर्वप्रथम उसने एक जाति - द्रोही बाजी घोर पाण्डे को लालच देकर अपनी ओर कर लिया l बाजी घोर पाण्डे बड़ा स्वार्थी और निकृष्ट था , उसने शिवाजी के पिता शाहजी को एक प्रीति भोज निमंत्रित कर धोखे से बंदी बना लिया और एक छोटी सी कोठरी में बंद कर उसका द्वार ईंटों चुनवा दिया , सांस लेने को थोड़ी सी जगह छोड़ी l शिवाजी अपने पिता की रक्षा के लिए बीजापुर दरबार में आत्म समर्पण करें l शिवाजी ने अपनी कुशल नीति से पिता शाहजी को मुक्त करा लिया l
अब आदिलशाह और जल गया और उसने शिवा को छल से मरवा डालने की ठानी l उसने फिर किसी विश्वासघाती की तलाश की l अब उसे बाजी श्यामराज एक जाति द्रोही मिल गया l उसने उसे धन और पद का लोभ दिया l वह कायर वहीँ घात लगाकर बैठा जहाँ शिवाजी उस समय रह रहे थे l शिवाजी सतर्क थे , गुप्तचरों से उन्हें श्यामराज के रंग - ढंग पता चले तो उन्होंने श्यामराज पर हमला कर दिया l शिवाजी से मार खाकर वह कायर भागा , जवाली के राजा चन्द्रराव की मदद से वह भाग निकला l शिवाजी के अभ्युदय से वह भी जलता था इसलिए उसने श्यामराज की सहायता की l जाति - द्रोही विजातियों से अधिक भयंकर और दंडनीय होता है l शिवाजी ने श्यामराज को तो धर दबोचा और ऐसे स्वार्थी व अदूरदर्शी राजा चन्द्र्राव पर आक्रमण कर उसे परस्त किया l जवाली के किले व मंदिर का जीर्णोद्धार कराया l और वहां से दो मील की दूरी पर प्रतापगढ़ किला और अपनी इष्ट देवी भवानी का मंदिर स्थापित किया l
अब आदिलशाह और जल गया और उसने शिवा को छल से मरवा डालने की ठानी l उसने फिर किसी विश्वासघाती की तलाश की l अब उसे बाजी श्यामराज एक जाति द्रोही मिल गया l उसने उसे धन और पद का लोभ दिया l वह कायर वहीँ घात लगाकर बैठा जहाँ शिवाजी उस समय रह रहे थे l शिवाजी सतर्क थे , गुप्तचरों से उन्हें श्यामराज के रंग - ढंग पता चले तो उन्होंने श्यामराज पर हमला कर दिया l शिवाजी से मार खाकर वह कायर भागा , जवाली के राजा चन्द्रराव की मदद से वह भाग निकला l शिवाजी के अभ्युदय से वह भी जलता था इसलिए उसने श्यामराज की सहायता की l जाति - द्रोही विजातियों से अधिक भयंकर और दंडनीय होता है l शिवाजी ने श्यामराज को तो धर दबोचा और ऐसे स्वार्थी व अदूरदर्शी राजा चन्द्र्राव पर आक्रमण कर उसे परस्त किया l जवाली के किले व मंदिर का जीर्णोद्धार कराया l और वहां से दो मील की दूरी पर प्रतापगढ़ किला और अपनी इष्ट देवी भवानी का मंदिर स्थापित किया l
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