चिंतन और चरित्र यदि निम्न स्तर का है तो उसका प्रतिफल भी दुःखद, संकट ग्रस्त अवं विनाशकारी होगा l उन दुष्परिणामों को कर्ता स्वयं तो भोगता ही है , साथ ही अपने सम्बद्ध परिकर को भी दलदल में घसीट ले जाता है l नांव की तली में छेद हो जाने पर उसमे बैठे सभी यात्री मंझधार में डूबते हैं l
रावण बहुत विद्वान, वेद व शास्त्रों का ज्ञाता था l लेकिन अहंकारी था , उसने सीताजी का अपहरण किया , उसने स्वयं तथा अपने राक्षसों को भेजकर ऋषियों पर बहुत अत्याचार किये l इन्ही सब कुकर्मों का परिणाम था कि अपने एक लाख पूत और सवा लाख नाती समेत नष्ट हो गया l
' रावण का मरा हुआ शरीर पड़ा था l उसमे सौ स्थानों पर छिद्र थे l सभी से लहु बह रहा था l लक्ष्मणजी ने राम से पूछा --- आपने तो एक ही बाण मारा था l फिर इतने छिद्र कैसे हुए ? भगवान ने कहा --- मेरे बाण से तो एक ही छिद्र हुआ l पर इसके अपने कुकर्म घाव बनकर अपने आप फूट रहे हैं और अपना रक्त स्वयं बहा रहे हैं l '
रावण बहुत विद्वान, वेद व शास्त्रों का ज्ञाता था l लेकिन अहंकारी था , उसने सीताजी का अपहरण किया , उसने स्वयं तथा अपने राक्षसों को भेजकर ऋषियों पर बहुत अत्याचार किये l इन्ही सब कुकर्मों का परिणाम था कि अपने एक लाख पूत और सवा लाख नाती समेत नष्ट हो गया l
' रावण का मरा हुआ शरीर पड़ा था l उसमे सौ स्थानों पर छिद्र थे l सभी से लहु बह रहा था l लक्ष्मणजी ने राम से पूछा --- आपने तो एक ही बाण मारा था l फिर इतने छिद्र कैसे हुए ? भगवान ने कहा --- मेरे बाण से तो एक ही छिद्र हुआ l पर इसके अपने कुकर्म घाव बनकर अपने आप फूट रहे हैं और अपना रक्त स्वयं बहा रहे हैं l '
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