कहते हैं कि एक बार ' कामदेव ' ने लोगों को परेशान करने की ठानी और अपनी माया चारों और फैला दी l वह लोगों के मन में घुस गया और हर एक के मन में असीम कामनाएं भड़का दीं l पहले लोगों की आवश्यकताएं सीमित थीं वे संतुष्ट रहते थे किन्तु अब प्रतिस्पर्धा बढ़ गई ,ईर्ष्या - द्वेष बढ़ गया , लोगों को उचित - अनुचित का ज्ञान नहीं रहा l चारों और अशांति फ़ैल गई l
कामदेव अपने इस कौतुक पर बड़ा प्रसन्न था , उसने किसी को भी नहीं छोड़ा l
कहते हैं धरती की इस करुण स्थिति को देखकर शिवजी ने अपना तीसरा नेत्र खोला और कामदेव को भस्म कर दिया l तब संसार को शांति मिली l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है --- ' आज कामदेव ने मानवीय चेतना को दूषित कर दिया है l स्वार्थ बढ़ रहा है , पाप प्रचंड हो रहा है , नरक की ज्वालाएं हर क्षेत्र में धधकती जा रही हैं l यदि महाकाल का तीसरा नेत्र नहीं खुला तो स्थिति और भयंकर हो जाएगी l यह तीसरा नेत्र और कुछ नहीं ,--'- सामूहिक विवेक ' ही है l इसके जागने से अज्ञान का अंधकार मिटेगा और आज की असंख्य समस्याओं का समाधान निकलेगा l गायत्री परिवार का ' विचार क्रांति अभियान ' एक प्रकार से महाकाल का तृतीय नेत्र ही है l विचार परिष्कृत होंगे विवेग जागेगा तभी स्वस्थ समाज का निर्माण होगा l
कामदेव अपने इस कौतुक पर बड़ा प्रसन्न था , उसने किसी को भी नहीं छोड़ा l
कहते हैं धरती की इस करुण स्थिति को देखकर शिवजी ने अपना तीसरा नेत्र खोला और कामदेव को भस्म कर दिया l तब संसार को शांति मिली l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है --- ' आज कामदेव ने मानवीय चेतना को दूषित कर दिया है l स्वार्थ बढ़ रहा है , पाप प्रचंड हो रहा है , नरक की ज्वालाएं हर क्षेत्र में धधकती जा रही हैं l यदि महाकाल का तीसरा नेत्र नहीं खुला तो स्थिति और भयंकर हो जाएगी l यह तीसरा नेत्र और कुछ नहीं ,--'- सामूहिक विवेक ' ही है l इसके जागने से अज्ञान का अंधकार मिटेगा और आज की असंख्य समस्याओं का समाधान निकलेगा l गायत्री परिवार का ' विचार क्रांति अभियान ' एक प्रकार से महाकाल का तृतीय नेत्र ही है l विचार परिष्कृत होंगे विवेग जागेगा तभी स्वस्थ समाज का निर्माण होगा l
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