22 April 2020

अर्थ --- धरती

  यह  धरती ,  यह  मिटटी  हमें  ईश्वरीय  देन   है  ,  विज्ञान   की  कोई  भी  प्रयोगशाला  इस  मिटटी  को  बना  नहीं  सकती  ,  फिर  भी  मनुष्य   अहंकार  करता  है  l    विशाल  भूभाग   को  मनुष्य  ने  अपनी  सुविधा  के  लिए  नक़्शे  बनाकर  विभिन्न  देशों  और  विभिन्न  क्षेत्रों  में  बाँट  लिया  है  l   यह  भी  श्रम विभाजन  ही  है  जो  उचित  भी  है    लेकिन  इन  सबसे  अलग  हटकर  मनुष्य  ने    स्वार्थ  और  लालच   के  वशीभूत    होकर     इस  अर्थ  को  ' अर्थ ' ( धन )  के  अनुसार  दो  हिस्सों  में  बाँट  लिया  है  --- एक  ओर   सब  अमीर  हैं   और  दूसरी  ओर   सब  गरीब  हैं   l   यही  इस  धरती  पर  अशांति  का  सबसे  बड़ा  कारण  है  l
   अमीर  व्यक्ति  चाहे  किसी  भी  देश  के  हों ,  किसी  भी  विभाग  के  हों  ,   वे  सब  एक  हैं  ,  सब  की  एक  सी  प्रवृति  है  ,  गरीबों  और  कमजोर  का शोषण  करके  ही   कोई  इतना  अमीर  बनता  है    और  वे  सब  अपनी  इस  सम्पदा  को  दिन - प्रतिदिन  बढ़ाना  चाहते  हैं  ,  किसी  भी  कीमत  पर   इसे  खोना  नहीं  चाहते  ,  यह  खोने  का   भय   इनके  तनाव  का  सबसे  बड़ा  कारण  है  l
  यह  एक  विडम्बना  ही  है    अमीरों  की  अमीरी ,  भोग - विलास  सभी  कुछ   गरीब  और  कमजोरों  के  बिना  चल  नहीं  सकता  l    घरेलू   काम - काज  से  लेकर ,  फैक्ट्री  के  काम ,  भोजन , सफाई   आदि  जीवन  के  प्रत्येक  क्षेत्र  में    वे  इन्ही  लोगों  पर  निर्भर  हैं ,  एक  प्रकार  से  परजीवी  हैं  l   'धन  बहुत  महत्वपूर्ण  है ,  लेकिन  केवल  धन  से  जीवन  नहीं  चलता   l
यही  कारण  है  कि   ये  लोग  विभिन्न  तरीकों  से  गरीबों  का  शोषण  कर  उन्हें  गरीब  ही  बनाये  रखते  हैं  ,  उन्हें  किसी  भी  तरह  आगे  बढ़ने  का , जागरूक  होने  का  मौका  नहीं  देते   l
 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  इसी  को  दुर्बुद्धि  कहते  हैं  l   वे  कहते  हैं  हम  सब  एक  माला  के  मोती  है ' l  अमीर  हो  या  गरीब  ,  पेड़ - पौधे , वनस्पति , पशु - पक्षी   सम्पूर्ण  पर्यावरण   ये  सब  इस  माला  के  मनके हैं , मोती  हैं,     जो   परस्पर  निर्भर  हैं   l   एक  भी  मोती  ख़राब  होगा   तो  माला  का  अस्तित्व  खतरे  में  पड़   जायेगा  l   सुख - शांति  और  तनाव रहित  जीवन  जीने  के  लिए   सबके  साथ  संतुलन  बना  कर  चलना  होगा  l  

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