शांति में ही समस्त सुखों का अनुभव होता है l संत इमर्सन ने लिखा है ---- " युवावस्था में मेरे अनेक सपने थे l उन्ही दिनों मैंने एक सूची बनाई थी कि जीवन में मुझे क्या - क्या पाना है l इस सूची में वे सारी चीजें थीं , जिन्हे पाकर मैं धन्य होना चाहता था l स्वास्थ्य , सौंदर्य , सुयश , सम्पति , सुख , इसमें सभी कुछ था l इस सूची को लेकर मैं बुजुर्ग संत थॉरो के पास गया और उनसे कहा ---- " क्या मेरी इस सूची में जीवन की सभी उपलब्धियां नहीं आ जाती हैं ? " उन्होंने मेरी बात को ध्यान से सुना l फिर बोले ---- " मेरे बेटे ! तुम्हारी यह सूची बड़ी सुन्दर है l बहुत विचार पूर्वक तुमने इसे बनाया है l फिर भी तुमने इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात छोड़ दी , जिसके बिना सब कुछ व्यर्थ हो जाता है l "
मैंने पूछा --- " वह क्या है ? " उत्तर में उन वृद्ध अनुभवी संत ने मेरी सम्पूर्ण सूची को बुरी तरह काट दिया और उसकी जगह उन्होंने केवल एक शब्द लिखा --- शांति l "
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- ' अंतर्मन में शांति प्रगाढ़ हो तो दुःखमय परिस्थितियां , बाहरी जीवन के सारे आघात मिलकर भी अन्तस् में दुःख को अंकुरित नहीं कर पाते l '
मैंने पूछा --- " वह क्या है ? " उत्तर में उन वृद्ध अनुभवी संत ने मेरी सम्पूर्ण सूची को बुरी तरह काट दिया और उसकी जगह उन्होंने केवल एक शब्द लिखा --- शांति l "
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- ' अंतर्मन में शांति प्रगाढ़ हो तो दुःखमय परिस्थितियां , बाहरी जीवन के सारे आघात मिलकर भी अन्तस् में दुःख को अंकुरित नहीं कर पाते l '
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