रूप , धन , पद , ज्ञान , सत्ता , शक्ति आदि अनेक ऐसे कारण हैं जो व्यक्ति को अहंकारी बना देते हैं l लेकिन इन सबसे ऊपर एक और बड़ा कारण है जो समाज में तनाव और अशांति उत्पन्न करता है l वह है --- कुछ लोगों का स्वयं को जन्म से श्रेष्ठ समझने का भ्रम l
मानवीय कमजोरियाँ सब जगह एक सी होती हैं l हर देश , हर समाज में ऐसे लोग हैं जो स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझते हैं और इस अहंकार की वजह से वह दूसरे वर्ग पर अपना आधिपत्य चाहते हैं l केवल आधिपत्य की बात हो , तब भी ठीक है , लेकिन इनके मन में एक अज्ञात भय होता है कि जिस वर्ग को हमने अपने से हीन समझा , कहीं वह तरक्की कर उनसे आगे न बढ़ जाये l इस वजह से वे उनकी तरक्की , उनकी खुशी , उनकी चैन की जिंदगी को कभी सहन नहीं करते l हमेशा षड्यंत्र या ऐसा कृत्य करेंगे ही जिससे दूसरा पक्ष उन्नति न कर सके l जिसे दीन - हीन देखा , उसे अपने बराबर या अपने से आगे कभी स्वीकार ही नहीं कर सकते l
जो समाज - सुधारक , समाज के उपेक्षित वर्ग को ऊँचा उठाने का प्रयास करते हैं , उन्हें वे रास्ते से हटाने का हर संभव प्रयास करते हैं l यह स्थिति हजारों वर्षों से है l
अब वक्त बदला लेकिन मानवीय कमजोरियां तो वही हैं , अहंकारी दूसरों को पीड़ित करने का रास्ता खोज ही लेता है l
हमारे ऋषियों का , आचार्य का यही शिक्षण है कि ---- हम दूसरों को नहीं सुधार सकते , स्वयं का सुधार करना ज्यादा सरल है l अपनी शक्ति को पहचाने l आत्मविश्वासी बनें l
मानवीय कमजोरियाँ सब जगह एक सी होती हैं l हर देश , हर समाज में ऐसे लोग हैं जो स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझते हैं और इस अहंकार की वजह से वह दूसरे वर्ग पर अपना आधिपत्य चाहते हैं l केवल आधिपत्य की बात हो , तब भी ठीक है , लेकिन इनके मन में एक अज्ञात भय होता है कि जिस वर्ग को हमने अपने से हीन समझा , कहीं वह तरक्की कर उनसे आगे न बढ़ जाये l इस वजह से वे उनकी तरक्की , उनकी खुशी , उनकी चैन की जिंदगी को कभी सहन नहीं करते l हमेशा षड्यंत्र या ऐसा कृत्य करेंगे ही जिससे दूसरा पक्ष उन्नति न कर सके l जिसे दीन - हीन देखा , उसे अपने बराबर या अपने से आगे कभी स्वीकार ही नहीं कर सकते l
जो समाज - सुधारक , समाज के उपेक्षित वर्ग को ऊँचा उठाने का प्रयास करते हैं , उन्हें वे रास्ते से हटाने का हर संभव प्रयास करते हैं l यह स्थिति हजारों वर्षों से है l
अब वक्त बदला लेकिन मानवीय कमजोरियां तो वही हैं , अहंकारी दूसरों को पीड़ित करने का रास्ता खोज ही लेता है l
हमारे ऋषियों का , आचार्य का यही शिक्षण है कि ---- हम दूसरों को नहीं सुधार सकते , स्वयं का सुधार करना ज्यादा सरल है l अपनी शक्ति को पहचाने l आत्मविश्वासी बनें l
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