आज के समय में जब मनुष्य का दोहरा व्यक्तित्व है , सामने कुछ और दिखाई देता है लेकिन उसकी वास्तविकता कुछ और है l ऐसे में उसके द्वारा , या उसके संरक्षण या आदेश द्वारा किए जाने वाले कार्यों और उनके परिणामों का गहराई से अवलोकन करें तो हम उस व्यक्ति की वास्तविकता को समझ सकते हैं l
यह संसार ईश्वर का बगीचा है इसमें गंदगी से लेकर मनोहर पुष्प तक सभी पदार्थ होते हैं l कोयल इस बाग़ में पहुंचकर उस पर मुग्ध हो जाती है , अपनी सुरीली आवाज में कूकती है , उस बाग की मनोहरता को और बढ़ा देती है l लेकिन दूसरी ओर चमगादड़ उस बाग में घुसता है तो उसके उत्तम फल - फूलों को कुतर - कुतर कर जमीन पर ढेर लगाता है और उस बगीचे को कुरूप बनाता है l हम बगीचे में ऐसी कुरूपता देखते ही समझ जायेंगें कि यह चमगादड़ का काम है l
कोयल और चमगादड़ अपने - अपने भाव के अनुसार क्रिया प्रकट करते हैं l जिनके भीतर जो है , वही उसकी क्रिया में प्रकट होता है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने विचार क्रांति की बात कही है , जब हमारा चिंतन , हमारे विचार श्रेष्ठ होंगे , परिष्कृत होंगे , तभी हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्य श्रेष्ठ होंगे और श्रेष्ठ परिणाम देंगे l
यह संसार ईश्वर का बगीचा है इसमें गंदगी से लेकर मनोहर पुष्प तक सभी पदार्थ होते हैं l कोयल इस बाग़ में पहुंचकर उस पर मुग्ध हो जाती है , अपनी सुरीली आवाज में कूकती है , उस बाग की मनोहरता को और बढ़ा देती है l लेकिन दूसरी ओर चमगादड़ उस बाग में घुसता है तो उसके उत्तम फल - फूलों को कुतर - कुतर कर जमीन पर ढेर लगाता है और उस बगीचे को कुरूप बनाता है l हम बगीचे में ऐसी कुरूपता देखते ही समझ जायेंगें कि यह चमगादड़ का काम है l
कोयल और चमगादड़ अपने - अपने भाव के अनुसार क्रिया प्रकट करते हैं l जिनके भीतर जो है , वही उसकी क्रिया में प्रकट होता है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने विचार क्रांति की बात कही है , जब हमारा चिंतन , हमारे विचार श्रेष्ठ होंगे , परिष्कृत होंगे , तभी हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्य श्रेष्ठ होंगे और श्रेष्ठ परिणाम देंगे l
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