12 December 2020

WISDOM ------

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  - " मनुष्य  की  सबसे  बड़ी  भूल  है   स्वयं  को  बंदर   की   औलाद   समझना   l   इस  कारण  हम  अपने  स्वरुप , कर्तव्य  और  उद्देश्य  को  भूल  गए  l जब   हम  स्वयं  को  ईश्वर  की  श्रेष्ठ   संतान   मानेंगे   तभी  हमारे  कर्म  , हमारा  आचरण  श्रेष्ठ  होगा  और  उसके  परिणाम   भी सुखदायी  होंगे '           विकास  की  प्रक्रिया  में  हमने  यह  माना  कि  हम  अपनी  प्रारम्भिक  अवस्था  में  बंदर   थे  ,  विकसित  होकर  इस  रूप  में  आ  गए  l   ऐसा  मानकर  हमने  भौतिक  प्रगति   तो  बहुत  की  l   विज्ञान   ने  हमें  इतनी  सुख - सुविधाएँ  दीं   जिसकी  किसी  ने  कल्पना  भी  नहीं  की  होगी  l   लेकिन  चेतना  के  स्तर  पर   हम  कहाँ  पहुंचे  हैं   ?  संसार  में   बढ़ते  अपराध , आतंक ,  युद्ध ,  छीना  - झपटी -------   -------------------------------------    आचार्य श्री  लिखते  हैं ---- ' जब  अपने  से  बड़ी  शक्ति  के  साथ   संबंध   जोड़ने  की  महत्ता  को   छोटे  बच्चे  तक  समझते  हैं  ,  फिर  मनुष्य  भगवान  को  घनिष्ठ  बनाने  में   इतनी  उपेक्षा  क्यों  बरतता  है    l '  केवल   कर्मकांड    कर  के  ही    मनुष्य   अपने  आस्तिक  होने   का  दिखावा  करता  है  ,  आंतरिक  परिष्कार  नहीं  करता  l 

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