' तीस जनवरी शाम को बापू बिड़ला घर से बाहर आए और प्रार्थना - सभा में जाने धीरे - धीरे कदम बढ़ाए , उस दिन होनी अपना रूप बदल कर आई और अहिंसा के सीने पर हिंसा ने गोली बरसाई l बापू ने कहा राम - राम और जग से किया किनारा , श्रीराम के घर जा पहुंचा श्रीराम का प्यारा l '
मृत्यु से पहली रात को जब वे विश्राम के लिए बिस्तर पर लेट गए और एक दो अनुयायी उनके थके हुए अंगों को मल रहे थे , उन्होंने कहा ---- ' अगर मैं किसी बीमारी से , सामान्य फोड़े से भी मरीज होकर मरुँ , तो तुम्हारा यह कर्तव्य है कि संसार को बता दो कि गांधीजी सच्चे ईश्वर भक्त नहीं थे , चाहे इससे लोग तुमसे नाराज ही क्यों न हो जाएँ l अगर तुम ऐसा करोगे तो मेरी आत्मा को शांति मिलेगी l साथ ही यह लिखकर रख लो कि अगर कोई गोली चलकर मेरे जीवन का अंत कर दे और मैं उस आघात को बिना हाय - तौबा किये सह लूँ , तब भी राम नाम लेता हुआ प्राण त्यागूँ , तो यह समझना कि मैं जो दावा करता था वह 'सच है l
संसार में गांधीजी के देहान्त होने का जितना अधिक शोक मनाया गया और सब तरह के लोगों ने इसे जिस प्रकार अपनी व्यक्तिगत हानि माना , वैसा संसार में शायद ही पहले कभी हुआ हो l अमरीका के सबसे बड़े अख़बार ' न्यूयार्क टाइम्स ' ने लिखा --- " गांधीजी अपने उत्तराधिकार स्वरुप एक ऐसी आध्यात्मिक शक्ति छोड़ गए जो भगवान के निर्देशित समय पर अवश्य ही हथियारों और हिंसा की दूषित नीति पर विजय प्राप्त करेगी l "
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने वाङ्मय ' हमारी संस्कृति इतिहास के कीर्ति स्तम्भ ' में लिखा है---- ' महात्मा गाँधी वास्तव वास्तव में युग पुरुष थे l ऐसे महामानव प्रकृति अथवा ईश्वर के नियमानुसार ' युग - परिवर्तन ' के अवसर पर प्रकट होते हैं और संसार की परिस्थितियों के अनुकूल सत्य - मार्ग का उपदेश देते हैं l उनकी सबसे बड़ी विशेषता यही होती है कि वे जो कुछ कहते हैं उसके अनुसार स्वयं भी आचरण कर के दिखा देते हैं l '
मृत्यु से पहली रात को जब वे विश्राम के लिए बिस्तर पर लेट गए और एक दो अनुयायी उनके थके हुए अंगों को मल रहे थे , उन्होंने कहा ---- ' अगर मैं किसी बीमारी से , सामान्य फोड़े से भी मरीज होकर मरुँ , तो तुम्हारा यह कर्तव्य है कि संसार को बता दो कि गांधीजी सच्चे ईश्वर भक्त नहीं थे , चाहे इससे लोग तुमसे नाराज ही क्यों न हो जाएँ l अगर तुम ऐसा करोगे तो मेरी आत्मा को शांति मिलेगी l साथ ही यह लिखकर रख लो कि अगर कोई गोली चलकर मेरे जीवन का अंत कर दे और मैं उस आघात को बिना हाय - तौबा किये सह लूँ , तब भी राम नाम लेता हुआ प्राण त्यागूँ , तो यह समझना कि मैं जो दावा करता था वह 'सच है l
संसार में गांधीजी के देहान्त होने का जितना अधिक शोक मनाया गया और सब तरह के लोगों ने इसे जिस प्रकार अपनी व्यक्तिगत हानि माना , वैसा संसार में शायद ही पहले कभी हुआ हो l अमरीका के सबसे बड़े अख़बार ' न्यूयार्क टाइम्स ' ने लिखा --- " गांधीजी अपने उत्तराधिकार स्वरुप एक ऐसी आध्यात्मिक शक्ति छोड़ गए जो भगवान के निर्देशित समय पर अवश्य ही हथियारों और हिंसा की दूषित नीति पर विजय प्राप्त करेगी l "
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने वाङ्मय ' हमारी संस्कृति इतिहास के कीर्ति स्तम्भ ' में लिखा है---- ' महात्मा गाँधी वास्तव वास्तव में युग पुरुष थे l ऐसे महामानव प्रकृति अथवा ईश्वर के नियमानुसार ' युग - परिवर्तन ' के अवसर पर प्रकट होते हैं और संसार की परिस्थितियों के अनुकूल सत्य - मार्ग का उपदेश देते हैं l उनकी सबसे बड़ी विशेषता यही होती है कि वे जो कुछ कहते हैं उसके अनुसार स्वयं भी आचरण कर के दिखा देते हैं l '
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