मनुष्य जीवन अनेक समस्याओं से घिरा हुआ है , बीमारी है , दुःख है और सबसे बड़ा दुःख है --- मृत्यु l शेष सारे दुःख तो उसकी छाया में हैं l मनुष्य अपने मिटने के डर से भयभीत है l इसलिए प्रत्येक सांसारिक प्राणी मृत्यु को भुलाकर अपनी जिंदगी अपने हिसाब से चैन से जीना चाहता है l मनुष्य , ईश्वर की भी उनके सौम्य रूप में , सुन्दर छवि की उपासना करता है l
गीता में भगवान ने अर्जुन को अपने विराट रूप के दर्शन दिए --' सब जन्म मुझ से पाते हैं , फिर लौट मुझ में ही आते है l ' लेकिन परमात्मा के विकराल रूप का कोई ध्यान नहीं करना चाहता l
जीवन जीने की स्वतंत्रता बहुत बड़ी स्वतंत्रता है , मनुष्य हर पल मृत्यु को अपने आसपास देखना नहीं चाहता l इसलिए कोई यह कह कर कि हम तुम्हे मृत्यु से बचाएंगे , व्यक्ति पर अपना नियंत्रण रखना चाहे , तो ऐसी स्थिति में लोग मानसिक व्याधियों से घिरने लगते हैं , आक्रामक हो जाते हैं l
गीता में भगवान ने अर्जुन को अपने विराट रूप के दर्शन दिए --' सब जन्म मुझ से पाते हैं , फिर लौट मुझ में ही आते है l ' लेकिन परमात्मा के विकराल रूप का कोई ध्यान नहीं करना चाहता l
जीवन जीने की स्वतंत्रता बहुत बड़ी स्वतंत्रता है , मनुष्य हर पल मृत्यु को अपने आसपास देखना नहीं चाहता l इसलिए कोई यह कह कर कि हम तुम्हे मृत्यु से बचाएंगे , व्यक्ति पर अपना नियंत्रण रखना चाहे , तो ऐसी स्थिति में लोग मानसिक व्याधियों से घिरने लगते हैं , आक्रामक हो जाते हैं l
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