प्रकृति मनुष्य को वही देती है , जो उसे पसंद है l यह मनुष्य की अयोग्यता ही कही जाएगी कि वह अपनी पसंद भी ठीक तरह से बता नहीं पाता l व्यक्तिगत पसंद के साथ सामूहिक पसंद भी होती है l यदि समाज में , संसार में अधिकांश लोग किसी तरह का एक जैसा व्यवहार कर रहे हैं , तो प्रकृति में यह सन्देश जाता है कि लोगों को यही पसंद है , फिर प्रकृति किसी न किसी माध्यम से वैसा ही वातावरण संसार को देती है l ---- जैसे --- संसार में किसी देश में जातिगत छुआछूत है , जो लोग अपने को श्रेष्ठ समझते हैं वे अपने से निम्न जातियों के लोगों के साथ उपेक्षा का , अपमान का व्यवहार करते हैं l जिन देशों में रंग भेद है , वहां गोरे लोग , काले लोगों के साथ उपेक्षित व्यवहार करते हैं l शिक्षित होने के बावजूद भी अब तक पुरुष स्वयं को नारी से श्रेष्ठ समझता है l ---- मनुष्य ऐसा व्यवहार युगों से करता आ रहा है l इस कारण प्रकृति को यह बात स्पष्ट हो गई कि मनुष्य को ऐसा उपेक्षा , अपमान का व्यवहार अच्छा लगता है l
वर्तमान में इस महामारी ने संसार से संवेदना समाप्त कर दी और इस महामारी का लक्षण होने पर उपेक्षा , अपमान , ' दूर रहो ' की स्थिति पैदा कर दी l दुःख - दर्द और गरीबी के मारे लोगों के प्रति सहयोग की भावना को ही ग्रहण लग गया l
इस महामारी का कारण कोई वायरस हो या ' कुछ और हो ' l जो छूतछात , भेदभाव मनुष्य करता आ रहा है , वैसी ही स्थिति संसार में पैदा हो गई l
इस स्थिति से मनुष्य को सबक लेना चाहिए l जब जागो तब सवेरा l हम संवेदनशील बने l प्रेम , आत्मीयता , अपनत्व , सहृदयता , भाईचारा , सहयोग , सहानुभूति के व्यवहार को संसार में फैलाएं l ईश्वर में विश्वास रखें , ईश्वर ने हमें जितनी श्वास दी हैं , उन्हें कोई नहीं छीन सकता l
वर्तमान में इस महामारी ने संसार से संवेदना समाप्त कर दी और इस महामारी का लक्षण होने पर उपेक्षा , अपमान , ' दूर रहो ' की स्थिति पैदा कर दी l दुःख - दर्द और गरीबी के मारे लोगों के प्रति सहयोग की भावना को ही ग्रहण लग गया l
इस महामारी का कारण कोई वायरस हो या ' कुछ और हो ' l जो छूतछात , भेदभाव मनुष्य करता आ रहा है , वैसी ही स्थिति संसार में पैदा हो गई l
इस स्थिति से मनुष्य को सबक लेना चाहिए l जब जागो तब सवेरा l हम संवेदनशील बने l प्रेम , आत्मीयता , अपनत्व , सहृदयता , भाईचारा , सहयोग , सहानुभूति के व्यवहार को संसार में फैलाएं l ईश्वर में विश्वास रखें , ईश्वर ने हमें जितनी श्वास दी हैं , उन्हें कोई नहीं छीन सकता l
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