एक कथा है ---- एक बार एक आदमी एक ऐसे गाँव में पहुँच गया , जहाँ सब अंधे रहते थे l नेत्रहीन होते हुए भी वे सभी काम आसानी से कर लेते थे l वहां उसे एक लड़की मिली बहुत सुन्दर थी , शिष्ट थी l उस गाँव में सभी अंधे थे , वह भी अंधी थी l उस आदमी को उससे प्रेम हो गया l वह उसे उसके सौंदर्य का भान कराता l सुन्दर दृश्यों का वर्णन करता , रंग बताता तो वह पूछती कि कैसा होता है ये रंग ? वह बार - बार यही कहता कि इसके लिए आँखे होनी चाहिए l उस लड़की ने उससे विवाह करने के लिए घर के बुजुर्गों से बात की , पर साथ में यह भी बताया कि उसमे एक बहुत बड़ी कमी है कि उसे दिखाई देता है l वह हम लोगों की तरह नहीं है l सभी अंधे बुजुर्ग बोले --- " यह बड़ी भयावह बीमारी है l सारी तकलीफें इसी से पैदा होती हैं l तुम चिंता न करो , हम उसका इलाज कर देंगे , फिर तुम्हारी शादी उससे करा देंगे l " सब अंधे उसके पीछे पड़ गए , उनका चक्रव्यूह इतना प्रबल था कि वह उनके जाल में फँस गया l लेकिन उसकी आँखे थी , उसमे विवेक था , वह जागरूक था इसलिए उन अंधों के , उसके विवेक को नष्ट करने के , उसकी जागरूकता को पनपने न देने के सारे प्रयास विफल हो गए l वह किसी तरह बच कर निकल भागा l लड़की कहती रही , हम तुमसे प्रेम करते हैं , मत भागो , लेकिन वह उस चक्रव्यूह से बच निकला l
अंधों के गाँव में देखना भी एक बीमारी है l आज के संसार की स्थिति भी ऐसी है l विवेकवान होना , जागरूक होना भी एक बीमारी है , बनो तो उनके जैसे l
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