4 July 2025

WISDOM -----

   इस  युग  की  सबसे  बड़ी  त्रासदी  यह  है  कि  मनुष्य  के  भीतर  ज्ञान  तो  बढ़ता  जा  रहा  है  लेकिन  वह  विवेकशून्य  होता  जा  रहा  है  l  उसे  स्वयं  नहीं  मालूम  कि  वह  आखिर  चाहता  क्या  है  ?   भीषण  युद्ध  हो  रहे , दंगे  हो  रहे  , बेकसूर  लोग  मारे  जा  रहे  हैं  l  बेकसूर  महिला , बच्चों  को  मारने  और  पर्यावरण  को  प्रदूषित  करने  का  कोई  ठोस  कारण  नजर  नहीं  आता  l  दुर्बुद्धि  का  सबसे  बड़ा  प्रमाण  तो  यह  है  कि  जब  कहीं  वश  न  चले  तो  धार्मिक  स्थलों  को , प्राचीन  मूर्तियों  को  ही  तोड़  डालो  l  यदि  इस  संबंध  में  गहराई  से  विचार  करें  तो  एक  बात  स्पष्ट  है  कि  मनुष्य  कितना  भी  आधुनिक  हो  जाए  वह    ईश्वर  से  डरता  तो  है   लेकिन   ईश्वर  की  प्रतीक  मूर्तियों  को  तोड़कर  वह  स्वयं  को  नास्तिक   होने  का  दिखावा  करता  है  l  प्रत्येक  मनुष्य  के  भीतर  एक  आत्मा  है  , जो  पवित्र  है  l  व्यक्ति  जो  भी  कुकर्म  करता  है  ,  उसकी  आत्मा  उसे  बार -बार  बताती  है  कि  तुम  ये  गलत  कर  रहे  हो   लेकिन  वह  अपनी  आत्मा  की  आवाज  को  अनसुना  कर  देता  है   और  एक  बड़े  अपराधी  की  तरह   अपने  कुकर्मों  के   सबूत    मिटाना  चाहता  है  l  उसे  लगता  है  कि   धार्मिक  स्थल  और  उनमें  छिपा  बैठा  ईश्वर  उसे  देख  रहा  है  ,  कहीं  उसे  दंड  न  दे  दे  , इसलिए  इस  सबूत  को  मिटा  डालो  l  ऐसे  लोग  वास्तव  में  बड़े  भोले  हैं  , उन्हें  नहीं  मालूम  ईश्वर  तो  प्रकृति  के  कण -कण  में  है  , वे  हजार  आँखों  से  हमें  देख  रहे  हैं  l  एक  आस्तिक  व्यक्ति  तो  अपने  धार्मिक  स्थल  पर   अपने  तरीके  से  पूजा -पाठ  कर  लौट  आता  है  , वहां  ईश्वर  हैं  या  नहीं  , यह  सोचने  की  उसे  फुर्सत  नहीं  है  क्योंकि  दैनिक  जीवन की  अनेक  समस्याएं  हैं   लेकिन  जो   ईश्वर  के  प्रतीक  चिन्हों  को  तोड़ते  हैं  , वे  अवश्य  ही  किसी  न  किसी  जन्म  में  ईश्वर  के  बड़े  भक्त  रहे  होंगे  , वे  इन  प्रतीकों  में  ईश्वर  का  अस्तित्व  देखते  हैं  , उनकी  निगाहों  से  डरते  हैं   इसलिए  उन्हें  मिटाकर  चैन  की  साँस  लेते  हैं  l  बड़े -बड़े  भक्तों  से  भी  कभी  कोई  गलती  हो  जाती  है , वे  अपनी  राह  भटक  जाते  हैं  l  उन्हें  अपना    पूर्व  जन्म  याद  नहीं  आता   इसलिए  पाप  के  मार्ग  पर  चलते  जाते  हैं  l  यदि  उनके  जीवन  को  सही  दिशा  मिल  जाये  , वे  स्वयं  को  पहचान  जाएँ  तो  संसार  में  बिना  वजह  के  युद्ध , दंगे  सब  समाप्त  हो  जाएँ  l  बड़ी  मुश्किल  से  जो  मानव  जन्म  मिला  ,  उसे  सुकून  के  साथ  जी  सकें  l