रामतनु लाहिड़ी कलकत्ता के प्रसिद्ध समाज सुधारक थे l एक बार वे अपने मित्र के साथ कहीं जा रहे थे कि उनकी दृष्टि सामने से आते एक व्यक्ति पर पड़ी l अभी तक उस व्यक्ति ने लाहिड़ी जी को नहीं देखा था l वे तुरंत एक पेड़ की आड़ में छिप गए और उस व्यक्ति के निकल जाने के बाद ही वहां से निकले l उनके मित्र को उनका यह व्यवहार कुछ विचित्र सा लगा l उसने उनसे ऐसा करने का कारण पूछा तो वे बोले ---- " उन सज्जन ने मुझसे कुछ रुपयों का उधार लिया है , हर बार मेरे सामने पड़ने पर वे अनेक प्रकार के झूठे बहाने बनाते हैं , जिससे मेरा मन बड़ा दुःखी होता है l धर्म सिर्फ स्वयं द्वारा किए गए सत्कर्मों को नहीं कहते , वरन दूसरे के अनीतिपूर्ण आचरण को न होने देना भी धार्मिकता की सच्ची पहचान है l " उनका उत्तर सुनकर उनके मित्र बड़े प्रभावित हुए l
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