वर्तमान में सामान्य मनुष्य से लेकर नेता , सेठ , साहूकार पुण्य कार्य तो बहुत करते हैं इससे संसार में सुख - शांति होनी चाहिए लेकिन भ्रष्टाचार और बेईमानी इस सुख - शांति की राह में दीवार है ----- एक कहानी है ---- एक गाँव में एक सेठ जी थे l बहुत वैभव था उनके पास l सत्संग में उनने सुन रखा था कि दान - पुण्य करने से मृत्यु में कष्ट नहीं होता और भगवान के दूत लेने आते हैं l इसलिए वे अपने गाँव और आसपास के क्षेत्रों के गरीबों के बच्चों की शिक्षा , , इलाज , रहने की व्यवस्था आदि के लिए अपने अति विश्वासपात्र लोगों के माध्यम से धन भिजवाते थे और कुछ गरीबों को अपने घर में अपने हाथ से भोजन परोसते थे l सत्संग का प्रभाव था , सेठ जी बड़े निश्चिन्त थे कहते थे हमारे लिए तो सीधा वैकुण्ठ से विमान आएगा , विष्णु भगवान के दूत आएंगे और ले जायेंगे l उनके चापलूस उनकी बड़ी तारीफ़ करते और गरीबों की संख्या भी बढ़ाते जाते l मृत्यु तो निश्चित है , आखिर वो दिन भी आ गया l भगवान के दूत तो नहीं आये , दरवाजे पर डरावने यमदूत खड़े थे उन्होंने बड़ी बेरहमी से सेठ की आत्मा को खींचा और घसीटते हुए ले चले l सेठ बहुत चिल्लाया ---देखो मेरे लिए लोग कितने दुःखी हैं , मैंने कितने पुण्य किये हैं , मैं देख लूंगा l ' यमदूतों ने उन्हें चित्रगुप्त महाराज के दरबार में पटक दिया l हो - हल्ला सुनकर महाराज सेठ के पास आये पूछा - क्या बात है ? सेठ ने पूरी कथा - गाथा कही कि मैं तो पुण्यात्मा हूँ , आपके दूतों ने बड़ा कष्ट दिया l ' महाराज ने कहा --- चलो , रजिस्टर देखें , प्रकृति में इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई ? ' जब रजिस्टर देखा तो महाराज ने सेठजी को दिखाया कि देखो , तुमने धन भेजा , लेकिन पीड़ितों का कालम तो खाली है , उन्हें तो मिला ही नहीं l ' अब सेठ बहुत विलाप करने लगा , मामला धर्मराज के पास पहुंचा l धर्मराज ने बहुत गहराई से अध्ययन किया और कहा देखो , तुम्हारे अन्नदान का तो पुण्य है लेकिन तुमने स्वयं बेईमानी से धन अर्जित किया इस कारण तुम लोगों को सच्चाई व ईमानदारी नहीं सिखा पाए l तुम्हारी मदद पहुँचने से पहले ही दबंगों ने विभिन्न तरीकों से पीड़ितों का धन हड़प कर उन्हें और पीड़ित किया इसलिए तुम्हारे खाते में पाप का स्तर बढ़ गया l अब तो सेठ सिसक -सिसक कर रोने लगा पर अब पछताए क्या होत , जब चिड़िया चुग गई खेत l धर्मराज ने कहा ---- प्रकृति के दंड विधान के अनुसार जो भोग है उससे कोई भी नहीं बचा है l जब फिर से धरती पर जन्म हो तो लोगों के विचारों को परिष्कृत करने का कार्य करो , स्वयं सच्चाई की राह पर चलकर , अपने आचरण से लोगों को शिक्षा दो l सच्चाई और ईमानदारी की कमाई ही फलती और पुण्य देती है l
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