12 January 2021

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते  हैं ---- ' मनोबल  ही  जीवन  है  l   वही  सफलता  और  प्रसन्नता   का उद्गम  है  l   मन  की  दुर्बलता  ही   रोग , दुःख  और  मौत  बनकर   आगे  आती  है  l  '                                                      एक  समय  था  जब  संसार  के  अधिकांश  देश  पराधीन  थे  l   अपनी  आजादी   के लिए  दृढ़   संकल्प  लिया  और  संगठित  प्रयास  किया  , अपने  मनोबल  को  जगाया   तो  सब  को  पराधीनता  से  मुक्ति  मिली  ,  गुलामी  की  जंजीरें  टूटी   और  आजादी  मिली  l      आत्मबल  से  गुलामी  से  मुक्ति  तो  संभव  है  लेकिन  यदि   मन: स्थिति  कमजोर  है  ,  आत्मबल  नहीं  है  , परावलंबी   हैं   तो   शक्तिशाली  तत्व  और  असुरता  उन्हें  ' कठपुतली ' बना  देती  है  l   ऐसे  में  स्वयं  निर्णय  लेने  की  शक्ति  नहीं  होती  l    यदि  आत्मबल  नहीं  है  ,  अपनी  कोई  सोच  ही  नहीं  है   तो    डोरी  जिसके  हाथ  में  होगी   ,  वैसा  ही  दृश्य  दिखाई  देगा  l   

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