17 January 2021

WISDOM -----

   श्रीमद् भगवद्गीता  में   भगवान  कहते  हैं  --- दुराचारी  के  लिए  भी  उनकी  दृष्टि  बड़ी  सहानुभूतिपूर्ण  है  l  भगवान  दुराचारी  के  तो  हो  सकते  हैं  ,  पर  कपटी  के  कभी  नहीं  हो  सकते  l  ' मोहि  कपट  छल  छिद्र  न  भावा l   निर्मल  मन  जन   सो  मोहि  पावा  ll   श्रीकृष्ण  ने  कुब्जा  का  कूबड़  ठीक  कर  दिया  ,  अनन्य  भाव  से  श्रीकृष्ण  उसके  हृदय  में  बसते   थे    l   पर  कपट  लेकर  आई   रावण  की  बहन   सूर्पणखा   जो  कहती  थी  --- '"  तुम  सम   पुरुष  न  मो  सम  नारी  "  उसे  अपनी  नाक  कटवा  कर  जाना  पड़ा  l  भगवान  कभी  छल -कपट  पसंद  नहीं  करते  हैं  l 

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