3 February 2021

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' यदि  संगठित  रूप  से   अत्याचार , अन्याय  का   प्रतिरोध  किया  जाए   तो  शक्तिशाली  बर्बरता  को  भी  परास्त  किया  जा  सकता  है   l   एक  कहानी  है -----  एक  पेड़  पर   चिड़िया  का  घोंसला  था   l   उसी  पेड़  के  नीचे  चींटी  का  बिल  भी  था  l   चींटी  और  चिड़िया  में  गहरी  दोस्ती  थी  l   उस  घोंसले  में  चिड़िया  के  छोटे - छोटे  बच्चे  थे  l  जब  चिड़िया  उन  बच्चों  के  लिए  दाना  लेने  जाती  तब  चींटी   वहीँ  पेड़  के  आसपास  रहकर   उसके  बच्चों  की   सुरक्षा  का  ध्यान  रखती  l   एक  दिन  चिड़िया  दाना  लेने  गई  हुई  थी  ,  तभी  वहां  से  एक  मदमस्त  हाथी   निकला  l   चींटी  ने  दौड़कर  उस  हाथी   को सचेत  किया   कि  तुम  इस  पेड़  से  दूर  होकर  निकलो  ,  इसमें  चिड़िया  के  घोंसले  में  छोटे  बच्चे  हैं  l लेकिन  हाथी  को  तो  अपनी  शक्ति  का  अहंकार  था  ,  उसने  चींटी  की  उपेक्षा  कर  दी  और  अपनी  सूँड   से  पेड़  को  जोर  से  हिला  दिया  ,  उसकी  कुछ  डालें  भी  तोड़  दीं  l   चिड़ियाँ  का  घोंसला  टूट  गया  ,  उसके  बच्चे  भी  गिरकर - दबकर  मर  गए  l  चींटी  बहुत  उदास  हो  गई  ,  जब  चिड़िया  आई   तो  सब  कुछ  बिखरा  हुआ  देखकर  दोनों  खूब  फूट -फूटकर  रोईं  l   फिर   दोनों ने   परस्पर  धैर्य  बँधाया   और  कहा  कि   ऐसे  रोने  से  काम  नहीं  चलेगा  l   आज  हाथी  ने  अपने  अहंकार  में  हमारा  घोंसला  तोड़ा  है  ,  कल  किसी  और  का  तोड़ेगा  l   दोनों  ने  मिलकर  उस  हाथी  को  ढूँढ़   लिया  ,  जब  हाथी  सैर  को  निकला   तो   चिड़िया  उसके  चारों  और  चीं - चीं   कर  उड़ने  लगी  l   हाथी  समझ  गया  ,  बोला --- तू  छोटी  चिड़िया  मेरा  क्या  बिगाड़ेगी ,  तुझे   तो  मैं      एक  ही  बार  में  कुचल  दूंगा  l   हाथी  अपने  अहंकार  में  था  ,  मौका  पाकर   चींटी  उसकी  सूँड   में  घुस  गई  l     अब  तो  हाथी  चिंघाड़ने   लगा  ,------ छोटी  सी  चींटी  ने  हाथी  को  परास्त  कर  दिया  l   वह  समझ  गया  कि   ईश्वर  ने  यदि  हमें   कोई  शक्ति  दी  है   तो  हमें  कमजोर  की  रक्षा  करनी  चाहिए  ,  उस  पर  अत्याचार  नहीं  करना  चाहिए   l 

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