ऋषियों का कहना है कि ---- अहंकार से अज्ञान उपजता है , इससे व्यक्ति को दिशा भ्रम हो जाता है l दिशा - भ्रम होने पर व्यक्ति न करने योग्य करता है और न सोचने योग्य सोचता है l अहंकार से उपजे अज्ञान के कारण व्यक्ति स्वयं अपने विनाश को निमंत्रण दे डालता है l पुराण में एक कथा है ---- एक राजा था l वह राजा स्वयं और उसकी समस्त प्रजा गायत्री साधना करती थी एवं एकादशी का व्रत करती थी l इसके प्रभाव से उनके राज्य में समस्त प्रजा बहुत प्रसन्न तथा स्वस्थ थी और मृत्यु के बाद कोई भी नरक में नहीं जाता था l इससे यमराज को बड़ी परेशानी थी l संभवत: स्वर्ग में बहुत भीड़ हो जाये , यह भी बहुत चिंता की बात है l उन्होंने अपनी ब्रह्मा जी से कही कि ऐसा कोई उपाय करें जिससे राज्य वासी नरक में आने लगें l ब्रह्मा जी ने पहले तो बहुत मना किया फिर यमराज की चिंता को समझते हुए बोले ---- तुम किसी भी तरीके से उस राजा के अहंकार को जगाओ , शेष सभी कार्य अहंकार से उपजा अज्ञान स्वयं कर लेगा l ' यमराज का प्रयत्न सफल हुआ l --------------- ऋषि कहते हैं ---- अशांति का मूल कारण स्वार्थ और अहंकार है l और इसके समाधान का उपाय है ---- प्रेम , सात्विक प्रेम , सेवा और परोपकार l इससे स्वार्थ और अहंकार गलता है और ईश्वर का सान्निध्य प्राप्त होता है l
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