21 June 2021

WISDOM -----

   आज  हम  वैज्ञानिक  युग  में  जी  रहे  हैं  ,  जीवन  का  कोई  भी  पक्ष  ऐसा  नहीं  है  जहाँ  विज्ञानं  न  पहुंचा  हो   l   कब  तूफ़ान  आना  है  , कब  चक्रवात   मौसम  आदि  की  भविष्यवाणी  तो  बहुत  पहले  से  हो  रही  हैं  l चिकित्सा  के  क्षेत्र  में  विज्ञान   के  एक  से  बढ़कर  एक  कीर्तिमान  हैं  l पहले  हैजा ,  चेचक ,  प्लेग ,  पोलियो     आदि  घातक  महामारियों  की  भविष्वाणी  नहीं  होती  थीं  ,  वे  अचानक  आती  थीं  ,  उनके  आने  का  और   विशाल  क्षेत्र  को   अपने  चपेट  में  लेने  का  कारण   भी  स्पष्ट  था   l   इसी  कारण  उनका  प्रामाणिक  इलाज  हुआ  ,  मानव  समाज  को   इन  बीमारियों  से  मुक्ति  का  रास्ता  मिला   l    अब  विज्ञानं  में  भविष्य  को  देखने  की  क्षमता  है  l   अब  भविष्यवाणी  हो  जाती  है  कि   कौनसी  महामारी  कब   आ  रही  है  l   लेकिन  यह  क्यों  आ  रही  है   ?   मानव  समाज   की  किन   भूलों  ने  ,  किन  गलतियों  ने  उसे  आने  का  न्योता  दिया  है   ?   हर  मर्ज  का इलाज  संभव  है  लेकिन  जब  कारण  स्पष्ट  होता  है  तभी  उसका   निवारण  होता  है   l  संसार  में  विद्वानों  की , विषय   विशेषज्ञों   की  कमी  नहीं  है   l    हृदय  में  संवेदना  हो  तो  संसार  की  सभी  समस्याएं  सुलझ  सकती  हैं   l   पुराणों  में  अनेक  उदाहरण  हैं  ---- जब  समुद्र  से   रास्ता   देने  के  लिए  भगवान  राम  ने  तीन  दिन  तक  प्रार्थना  की   और  उसने  नहीं  सुना   तब  भगवान  ने  अग्निबाण  का  संधान  किया  कि   अब  समुद्र  को  सुखाकर   रास्ता  लेंगे   l   इससे  दसों   दिशाओं  में  हाहाकार  मच  गया   तब  सब  देवता , ऋषिगण    उपस्थित  हुए  ,  समुद्र  देवता  ने  उन्हें   पुल   बनाने  का  उपाय  बताया   l   फिर   अग्निबाण    को     भगवान  ने  निर्जन  क्षेत्र  में  छोड़ा  ,  कहते  हैं  वही  क्षेत्र  अब  मरुस्थल  है  l   इसी  तरह   पौराणिक  युद्धों  में  जब  ब्रह्मास्त्र  का  प्रयोग  होता  था  तब  सारे  संसार  में  हाहाकार  मच  जाता  था    जीव जंतु , वनस्पति   सब  कुछ  नष्ट  होने  लगता  था   तब  देवतागण  आकर  दोनों  पक्षों  को  समझाते  ,  प्राणी मात्र  की  रक्षा  का  उपदेश  देते  तब  वे  अपने -अपने  बाण  वापस  बुला  लेते  थे   l   आज  भी  संसार  के  किसी  न  किसी  कोने  में  बड़े - बड़े  प्रयोग  होते  है    जिनकी  प्रतिक्रिया  स्वरुप  वातावरण  दूषित  होता  है   लेकिन  अब  संवेदना ,  करुणा  का  महत्त्व    समझाने    भगवान  नहीं  आते  ,  अब  मनुष्यों  को  स्वयं  जागरूक  होना  पड़ेगा    l 

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