पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है -----' अधिकार के लिए आतुर और कर्तव्य से बचने वालों को घाटा भी पड़ता है और अपयश भी मिलता है l ' एक कहानी है ----चार चोर एक गाय चुराकर लाये l बंटवारा इस प्रकार हुआ कि चारों बारी - बारी से एक एक दिन उसे अपने घर रखें l चतुरता में चारों एक दूसरे से बढ़े चढ़े थे , जिस दिन जिसकी बारी होती तो गाय का दूध तो निकालते , पर घास यह सोचकर नहीं खिलाते कि पिछले दिन वाले ने इसका पेट भरा ही होगा और अगले दिन वाला भी खिलायेगा ही l एक दिन मैं न खिलाऊँ तो क्या हर्ज है l यह क्रम कई दिन चला l भूखी गाय का दूध भी सूखता गया और अंत में उसके प्राण ही निकल गए l --- अधिकार के साथ कर्तव्यपालन भी जरुरी है l
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