संसार में जो कुछ है , वह सब ईश्वर की देन है l यदि ईश्वर पर दृढ़ विश्वास हो तो सत्य समझ में आ जाता है ---- श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य हरिप्रसन्न चटर्जी संन्यास के बाद स्वामी विज्ञानानंद नाम से प्रसिद्ध हुए l वे इंजीनियर थे , विवाह नहीं किया था l सदैव प्रसन्न रहते थे l कहते , मैं रामजी का बंदर हूँ l ठाकुर आये तो मैं भी आ गया l रामकृष्ण परमहंस को वे राम के रूप में पूजते थे l ठाकुर के जाने के बाद वे ' वाल्मीकि रामायण ' का अंग्रेजी अनुवाद करने में लग गए l सतत मन लगाकर घंटों बैठे रहते l लोग पूछते --- आप इतनी देर कैसे बैठ लेते हैं l ' वे कहते --- " यह अनुवाद नहीं है l मैं कथा में इतना रम जाता हूँ कि मेरे सामने राम , सीता , हनुमान सब आ जाते हैं l मैं अनुरक्त हो जाता हूँ l " उसी भाव प्रवाह में वे लिखते थे , क्योंकि उन्हें साक्षात् प्रभु का सान्निध्य मिलता था l
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