एक विद्वान् अपने कुत्ते के साथ भ्रमण कर रहे थे l सामने से एक व्यक्ति आ रहा था , उसने उन विद्वान् से प्रश्न किया --- ' कृपया बताएं , कुत्ते और मनुष्य में श्रेष्ठ कौन है l ' विद्वान् ने गंभीरता से कहा ---- " जब कोई मनुष्य इस सुर दुर्लभ मानवीय काया का सदुपयोग करते हुए श्रेष्ठ कर्म करता है तो वह मनुष्य श्रेष्ठ हुआ l मनुष्य ईश्वर की संतान है , जब वह अपने सच्चे स्वरुप का ध्यान न रखते हुए जानवरों जैसे कर्म करता है , दूसरों को सताता है तो ऐसे नर पशुओं से कुत्ता श्रेष्ठ है l " आध्यात्मिक मनोविज्ञानी कार्ल जुंग की यह दृढ मान्यता थी कि मनुष्य की धर्म , न्याय और नीति में अभिरुचि होनी चाहिए l उसके लिए वह सहज वृत्ति है l यदि इस दिशा में प्रगति न हो तो अंतत: मनुष्य टूट जाता है और उसका जीवन निस्सार हो जाता है l
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