हकीम लुकमान कहते थे ---- ' भोजन का असंयम कर मनुष्य अपनी जीभ से अपनी कब्र खोदता है l ' ---एक सेठ जी थे , वे खाँसी से बहुत परेशान थे l वैद्य जी के पास गए , तो वैद्य जी ने उनसे परहेज करने को कहा l सेठ जी ने कहा ---- " आप चाहें तो जितनी कड़वी दवा दें दे, पर मैं परहेज नहीं कर सकता l " वैद्य जी ने कहा --- फिर आप परहेज भी मत कीजिए , दवा भी मत लीजिए , क्योंकि खांसी के तीन लाभ आपको अवश्य ही होंगे l एक लाभ तो यह कि आप रात भर खांसते रहेंगे तो , घर में चोर नहीं आयेंगे l दूसरे आपको कुत्ते नहीं काटेंगे क्योंकि कमजोरी के कारण आप बिना लाठी नहीं चल सकेंगे l तीसरा लाभ यह है कि बुढ़ापा नहीं आएगा , क्योंकि खांसी के कारण जीवन जल्दी ही समाप्त हो जायेगा l यह सुनकर सेठजी को वैद्य जी की बात समझ में आ गई और उन्होंने खाने -पीने पर नियंत्रण कर अपने को स्वस्थ कर लिया l
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