परिवार , समाज हो या राष्ट्र --- उसकी अधिकांश समस्याएं आपसी फूट , एक दूसरे को न समझ पाने की वजह से उत्पन्न होती है l इस संसार में भांति -भांति के लोग हैं , सबके अपने विचार , अपना जीने का तरीका है l यदि हम सबसे छोटी इकाई परिवार को लें ---- तो कभी परिवार के सदस्यों की अपनी कमियों और नासमझी के कारण परिवार में फूट होती है , लड़ाई - झगड़े होते हैं l लेकिन कलियुग में ऐसे लोगों की भरमार है जो ईर्ष्या -द्वेष के कारण किसी परिवार , समाज या राष्ट्र को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख सकते , उनका जन्म ही इसलिए है कि फूट डालकर अपना स्वार्थ सिद्ध करें l जब मनुष्य में सद्बुद्धि होगी , उसका विवेक जाग्रत होगा तभी वह ऐसे नकारात्मक तत्वों से स्वयं को प्रभावित नहीं होने देगा और आंख -कान खुले रखकर , जागरूक होकर अपने जीवन का सफ़र तय करेगा l ------- एक कथा है ------ एक जंगल में हिरन , कौआ , कछुआ और चूहा रहते थे l विपरीत बुद्धि के कारण परस्पर झगड़ते रहते थे l शिकारी अक्सर उन्हें मारते रहते थे , सो उनका वंश नष्ट हो चला था l एक दिन एक संत ने उन्हें हिल -मिलकर रहने का उपदेश दिया l वे चारों मिल -जुलकर रहने को सहमत हो गए l एक दिन एक शिकारी आया l दिनभर कोई शिकार न मिलने पर उसने रेंगते हुए कछुए को पकड़ा और जाल में रखकर चलने लगा l शेष तीनों मित्र अलग -अलग तो कमजोर थे लेकिन अब उन्होंने मिल -जुलकर सूझ -बूझ से काम लिया l हिरन शिकारी के सामने से लंगड़ाते हुए चलने लगा l कौआ उसकी पीठ पर बैठ गया l शिकारी ने सोचा इस स्थिति का लाभ उठाकर हिरन को पकड़ना आसान है इसलिए उसने जाल नीचे रख दिया और हिरन के पीछे दौड़ने लगा l इतने में चूहे ने जाल काट दिया और कछुआ भागकर एक झाड़ी में छुप गया l बहुत देर पीछा करने के बाद जब हिरन ने कुलाँचे भरीं तो निराश शिकारी वापस लौटा तो जल कटा देखा और कछुए को गायब पाया l शिकारी को उस क्षेत्र में किसी भूत -प्रेत की उपस्थिति एवं करतूत प्रतीत हुई , सो वह रात्रि में उधर रुके बिना ही भयभीत होकर तत्काल घर लौट पड़ा l मित्रता और सूझबूझ के सहारे मनुष्य कठिनाइयाँ आसानी से पार कर लेता है लेकिन जब आपस में ही लड़ते हैं तब छोटी मुसीबत में भी भारी हानि उठाते हैं l
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