भिखारी दिन भर भीख मांगता -मांगता शाम को एक सराय में पहुंचा और भीतर की कोठरी में भीख की झोली रखकर सो गया l थोड़ी देर बाद एक किसान आया l उसके पास रुपयों की थैली थी l किसान बैल खरीदने गया था l रात को वह भी उसी सराय में रुका जहाँ भिखारी था और वह रुपयों की थैली अपने सिराहने रखकर सो गया l भीख की झोली रुपयों की थैली से बोली --- : बहन ! हम तुम एक बिरादरी के हैं , इतनी दूर क्यों हैं , आओ हम तुम एक हो जाए ? ' रुपयों की थैली ने हंसकर कहा --- " बहन ! क्षमा करो , यदि मैं तुमसे मिल गई तो संसार में परिश्रम और पुरुषार्थ का मूल्य ही क्या रह जायेगा l "
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