28 August 2022

WISDOM

  खलील  जिब्रान  ने  एक  छोटी  सी  कथा  लिखी  है  -- इस  कथा  में  उन्होंने  लिखा  है  कि   उनका  एक  मित्र  अचानक  एक  दिन  पागलखाने  में  रहने  चला  गया  l  वह  जब  उससे  मिलने  गए   तो  उन्होंने  देखा  कि  उनका  वह  मित्र  पागलखाने  के  बाग  में   एक  पेड़  के  नीचे   बैठा    मुस्करा  रहा  था  l  पूछने  पर  उसने  कहा ---- " मैं  यहाँ  बड़े  मजे  से  हूँ  l  मैं  बाहर  के  उस  बड़े  पागलखाने  को  छोड़कर  इस  छोटे  पागलखाने  में  शांति  से  हूँ  l  यहाँ  पर  कोई  किसी  को  परेशान  नहीं  करता  l  किसी  के  व्यक्तित्व  पर  कोई  मुखौटा  नहीं  है  l  जो  जैसा  है  , वह  वैसा  ही  है  l  न  कोई  आडंबर  है  और  न  कोई  ढोंग  है  l "   उसने  खलील  जिब्रान  को  और  आश्चर्य  में  डालते  हुए  कहा  --- " मैं  यहाँ  पर  ध्यान  सीख  रहा  हूँ  ,  क्योंकि  मैं  यह  जान  गया  हूँ  कि  ध्यान  ही  सभी  तरह  के  पागलपन  का  स्थायी  और  कारगर  उपचार  है  l "

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