1 . सर मेगनियर विलियम अंग्रेजी के एक प्रसिद्ध लेखक हैं l उन्होंने अपनी पुस्तक ' बुद्धिज्म ' में लिखा है ---- ' ईसाई धर्म ईसा के बिना कुछ नहीं है l मुस्लिम धर्म हजरत मुहम्मद के बिना कुछ नहीं है l बौद्ध धर्म महात्मा बुद्ध के बिना कुछ नहीं है l ये ही पुरुष इन धर्मों के ध्येय अथवा प्राण पुरुष हैं l परन्तु मुझे यह सत्य बात कहने में कोई संकोच नहीं होता कि हिन्दुओं का ध्येय मन्त्र ' गायत्री मन्त्र ' ऐसा है जो किसी महान पुरुष के बिना ही जीवित रह सकता है l हिन्दू धर्म का आधार किसी विशेष पुरुष पर नहीं है l इस मन्त्र के द्वारा हर एक मनुष्य सीधा परमेश्वर से ज्ञान प्राप्त कर सकता है l ' आज संसार में धर्म के नाम पर कितनी लड़ाई है l अब लड़ना भी रोजगार का साधन है l कलियुग में दुर्बुद्धि ऐसी है कि धर्म के नाम पर लड़ते हैं लेकिन जो प्रत्यक्ष देवता हैं , प्रतिदिन हमें दर्शन देते हैं , उन्हें अनदेखा करते हैं l सूर्य भगवान की कृपा से ही सम्पूर्ण संसार को प्राण ऊर्जा मिलती है , उन्ही को अपना भगवान माने तो तन -मन दोनों स्वस्थ हो जाएँ और सद्बुद्धि आए तो संसार में शांति और सुकून हो l 2 . आनंदमयी माँ न तो पढ़ी -लिखी थीं और न उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया था , पर वे उच्च स्तर के संतों और विद्वानों के प्रश्नों का बराबर उत्तर देती थीं l एक बार ढाका में दार्शनिकों का सम्मलेन हो रहा था l प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री महेंद्र सरकार ने प्रश्न किया -- ' माँ , आपने दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया है ? ' उन्होंने पूछा --- क्यों ? ' महेंद्र सरकार बोले ---- ' आपसे जितने सवाल किए गए और आपने जो उत्तर दिए , वे सभी दर्शनशास्त्र के अनुरूप थे l यह कैसे संभव हुआ , यह जानने की इच्छा है ? ' इस सवाल के जवाब में माँ आनंदमयी हँसते हुए बोलीं ---- ' यह समस्त अस्तित्व एक विराट ग्रन्थ है , इसकी रचना स्वयं आदिशक्ति ने की है l उनकी कृपा से जिसे इस ग्रन्थ का बोध हो जाता है , उसे फिर कुछ और जानना शेष नहीं रह जाता l
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