कौए ने विद्वान् हंस से प्रश्न किया --- " शास्त्रों में सत्संग की इतनी महिमा क्यों कही गई है ? " हंस ने उत्तर दिया ---- " संग जिसके साथ का होता है , उसके जैसे गुण संग करने वाले को प्राप्त होते हैं l गरम लोहे पर पड़ने से जल का निशान नहीं पड़ता , परन्तु वही जल कमल के पत्ते पर पड़ने से मोती सा चमकने लगता है और वही जल स्वाति नक्षत्र में सीप के मुंह में पड़ जाने से मोती बन जाता है , कोई केले में गिरी तो कपूर बन गई l ठीक ऐसे ही संसर्ग जैसा हो , प्राणी वैसे ही उत्तम , माध्यम अथवा अधम गुण प्राप्त करता है l "
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