श्रीमद भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अपने प्रिय सखा अर्जुन को अपनी विभूतियों का विवरण देते हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को शस्त्र धारण करने वालों में अपना स्वरुप बताते हैं l श्रीराम अति विनम्र , शिष्ट और मर्यादापूर्ण है , वे क्रोधित नहीं होते , उनके मन में न तो हिंसा है , न ईर्ष्या , न शत्रुता , न प्रतिस्पर्धा l वे किसी को दुःख देना नहीं चाहते इसलिए उनके हाथों में शस्त्र विचित्र लगता है l लेकिन भगवान श्रीराम के हाथों में शस्त्र होगा तो उससे विनाश रुकेगा l विध्वंसकारी शस्त्र भी यदि भगवान राम के हाथ में होंगे तो वे सृजन का माध्यम बनेंगे l इसलिए श्रीराम शस्त्रधारी होने पर भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं , वे मर्यादा और लोकहित के शिखर हैं l लेकिन यदि ये ही शस्त्र रावण के हाथों में होंगे तो विनाश तय है क्योंकि उसके भीतर हिंसा , लोभ , लालच , अहंकार आदि अनेक दुर्गुण है l उसका ज्ञान इन दुर्गुणों के नीचे दब गया है l वह अपने शस्त्रों का प्रयोग जब भी करेगा , तो गलत ही करेगा l उसके द्वारा विनाश के सिवाय अन्य कुछ भी संभव नहीं है l कलियुग में शस्त्र और शक्ति के दुरूपयोग के कारण ही आज संसार ऐसी बुरी स्थिति में है l
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