स्वामी रामतीर्थ अमेरिका पहुंचे l कस्टम पर मौजूद अधिकारी ने उनसे उनके व्यवसाय के बारे में पूछा l रामतीर्थ हँसे और बोले ---- " मैं बादशाह हूँ और ये सारी दुनिया मेरी सल्तनत है l " अधिकारी चकित हुआ और बोला ---" आपके पास निज संपत्ति के रूप में सिर्फ दो लंगोटियां हैं तो आप अपने आपको बादशाह कैसे बोल सकते हैं l " रामतीर्थ बोले ----- " अरे मित्र ! मैं बादशाह इसलिए नहीं हूँ कि मेरे पास अपार दौलत है या मुझे उसकी चाह है l मैं बादशाह इसलिए हूँ कि न मुझे किसी चीज की चाह है और न ही उसकी आवश्यकता l भगवान ने मुझे जैसा बनाया है , मैं उसमे पूरी तरह संतुष्ट हूँ l " इस प्रसंग से यही शिक्षा मिलती है कि हम सर्वप्रथम स्वयं से प्रेम करना सीखें l ईश्वर ने हमें जो कुछ दिया , हमें जैसा भी बनाया उसमे संतुष्ट रहकर निरंतर सत्कर्म और कर्तव्यपालन करते हुए अपने जीवन को और सुन्दर बनाने का प्रयास करें l
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