कहते हैं जो कुछ महाभारत में है वही इस धरती पर है l यदि हम परखना चाहें तो देखेंगे कि महाभारत में जितने भी प्रसंग हैं , बिलकुल वैसा ही इस धरती पर कहीं न कहीं देखने -सुनने को मिलेगा l भीष्म पितामह इतने ज्ञानी थे सब अपनी आँखों से देखते थे कि दुर्योधन पांडवों पर कितने अत्याचार कर रहा है , निरंतर षड्यंत्र रच रहा है लेकिन फिर भी भीष्म पितामह हस्तिनापुर सिंहासन के नाम पर जो भी इस अत्याचार का विरोध करे उसका यानि पांडवों का समर्थन करने के बजाय उन्ही के विरुद्ध सेनापति बन कर लड़ने को तैयार थे l यही स्थिति आज पूरे संसार में है l अत्याचारी अन्यायी के विरुद्ध कोई खड़ा नहीं होता l जो उनका विरोध करते हैं उन्ही को किसी न किसी तरह दण्डित किया जाता है l ऐसी स्थिति होने पर ही सत्य , न्याय और धर्म की रक्षा करने के लिए भगवान को आना पड़ता है l प्रकृति ही ईश्वर है , वह किस तरह से न्याय करती है इसे समझकर स्वयं में सुधार करना होगा l प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को सुधार ले तो सब तरफ सुख -शांति आ जाए l
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