दूध ने पानी से कहा -"बंधु !किसी मित्र के अभाव में मुझे सूना -सूना अनुभव होता है ।आओ ,तुम्हीं को ह्रदय से लगाकर मित्र बनाऊं ।"पानी ने उत्तर दिया -"भाई !तुम्हारी बात तो मुझे बहुत अच्छी लगी ,पर यह विश्वास कैसे हो कि अग्नि परीक्षा के समय भी तुम मेरे साथ रहोगे ?दूध ने कहा -"विश्वास रखो ,ऐसा ही होगा ।"और दोनों में मित्रता हो गई ।ऐसी मित्रता कि दोनों के स्वरुप को अलग करना कठिन हो गया ।अग्नि नित्य परीक्षा लेकर पानी को जला देती है पर दूध है कि हर बार मित्र की रक्षा के लिए अपने अस्तित्व की भी चिंता न करते हुए जलने को प्रस्तुत हो जाता है ,यही है सच्ची मित्रता ।
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