नारद जी ने जब श्रीराम को सीतावियोग में दुखी देखा तो उन्हें लगा कि मेरे शाप के कारण ही श्रीराम को नाना प्रकार के दुःख उठाने पड़ रहे हैं | स्वयं भगवान उनके कारण कष्ट में हैं ।
वे श्री राम के पास आये और बोले---" प्रभु ! जब मैं विवाह करना चाहता था तो करने देते । आपको कम से कम कष्ट तो नहीं उठाना पड़ता । "
तब भगवान अपने भक्त को जवाब देते हैं, वह हर शिष्य के लिये गुरु का----स्वयं भगवान का है वे कहते हैं---" मेरे भक्त मेरे छोटे बच्चे हैं । उनका भार मैं ले लेता हूँ । उनका परम हित जिसमे हो, मैं वही करता हूँ । इसलिये तुम्हारा विवाह नहीं होने दिया । मैं हमेशा माँ की तरह अपने भक्त की रक्षा करता हूँ । "
वे श्री राम के पास आये और बोले---" प्रभु ! जब मैं विवाह करना चाहता था तो करने देते । आपको कम से कम कष्ट तो नहीं उठाना पड़ता । "
तब भगवान अपने भक्त को जवाब देते हैं, वह हर शिष्य के लिये गुरु का----स्वयं भगवान का है वे कहते हैं---" मेरे भक्त मेरे छोटे बच्चे हैं । उनका भार मैं ले लेता हूँ । उनका परम हित जिसमे हो, मैं वही करता हूँ । इसलिये तुम्हारा विवाह नहीं होने दिया । मैं हमेशा माँ की तरह अपने भक्त की रक्षा करता हूँ । "
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