सम्राट होकर हिरोहितो ने एक सामान्य किन्तु असाधारण जीवन जीकर यह बता दिया कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य सुखोपभोग नहीं, समाज ओर स्वदेश की सच्ची सेवा करते हुए आत्म कल्याण करना है ।
कुछ लोग पदाधिकार और शासन-सत्ता पा जाने पर यह मान लेते हैं कि उनके जीवन का उद्देश्य मात्र सुखोपभोग और आदेश चलाना रह गया पर सम्राट हिरोहितो की मान्यता उस अन्धविश्वास से भिन्न थी । उनका कहना था कि शासन की सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी का पालन करते हुए भी व्यक्ति को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अंतत: एक मनुष्य ही है, भगवान नहीं ।
प्रतिवर्ष बसंत और वर्षा ऋतु में अपने खेतों पर अपने हाथ से काम करके उन्होंने यह दिखाया कि परिश्रम मनुष्य जीवन का सौन्दर्य है, स्वास्थ्य की रक्षा करता है और सबसे बड़ी बात है कि मनुष्य का मूल्य उसका परिश्रमी होना ही बढ़ाता है ।
' इम्पीरियल हाउस होल्ड ' नामक संस्था जो शाही परिवार के खर्च उसकी व्यवस्था जुटाती थी के मत में--- ' हिरोहितो सम्राट कम सन्त अधिक हैं । ' इस संस्था ने आधुनिकतम राजमहल बनाने की योजना जब सम्राट हिरोहितो के सामने रखी तो उनने अपनी वेदना इन शब्दों में रखी---- " अमेरिकी बमबारी से मेरी बहुत सी प्रजा के घर नष्ट हो चुके हैं, देश अभी गरीब है, जिन लोगों के पास खाने को नहीं है, जिनके अपने मकान नहीं हैं, उन्ही के पैसों से मेरे लिए भव्य महल बने यह मानवता और देश भक्ति का अपमान है, जब तक जापान का हर नागरिक उद्दोग में नहीं लग जाता, जब तक सबके अपने घर नहीं हो जाते, मैं अपने लिए नया राजमहल स्वीकार नहीं कर सकता । "
वे परम्परावादी नहीं थे, अब तक चली आ रही परिपाटी को तोड़कर उन्होंने एक गरीब घर की सुशील कन्या को अपनी धर्मपत्नी चुना । हिरोहितो को पश्चिमी सभ्यता के रंग में लाने की कोशिश की गई, लेकिन ऐसी रंगीनी को उन्होंने ठुकरा दिया । उनका मन अध्यात्मवाद की ओर मुड़ता गया उन्होंने सन्त सामाने जी को अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शक चुना और स्वयं को पारमार्थिक लक्ष्य की ओर गतिशील बनाए रहे
कुछ लोग पदाधिकार और शासन-सत्ता पा जाने पर यह मान लेते हैं कि उनके जीवन का उद्देश्य मात्र सुखोपभोग और आदेश चलाना रह गया पर सम्राट हिरोहितो की मान्यता उस अन्धविश्वास से भिन्न थी । उनका कहना था कि शासन की सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी का पालन करते हुए भी व्यक्ति को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अंतत: एक मनुष्य ही है, भगवान नहीं ।
प्रतिवर्ष बसंत और वर्षा ऋतु में अपने खेतों पर अपने हाथ से काम करके उन्होंने यह दिखाया कि परिश्रम मनुष्य जीवन का सौन्दर्य है, स्वास्थ्य की रक्षा करता है और सबसे बड़ी बात है कि मनुष्य का मूल्य उसका परिश्रमी होना ही बढ़ाता है ।
' इम्पीरियल हाउस होल्ड ' नामक संस्था जो शाही परिवार के खर्च उसकी व्यवस्था जुटाती थी के मत में--- ' हिरोहितो सम्राट कम सन्त अधिक हैं । ' इस संस्था ने आधुनिकतम राजमहल बनाने की योजना जब सम्राट हिरोहितो के सामने रखी तो उनने अपनी वेदना इन शब्दों में रखी---- " अमेरिकी बमबारी से मेरी बहुत सी प्रजा के घर नष्ट हो चुके हैं, देश अभी गरीब है, जिन लोगों के पास खाने को नहीं है, जिनके अपने मकान नहीं हैं, उन्ही के पैसों से मेरे लिए भव्य महल बने यह मानवता और देश भक्ति का अपमान है, जब तक जापान का हर नागरिक उद्दोग में नहीं लग जाता, जब तक सबके अपने घर नहीं हो जाते, मैं अपने लिए नया राजमहल स्वीकार नहीं कर सकता । "
वे परम्परावादी नहीं थे, अब तक चली आ रही परिपाटी को तोड़कर उन्होंने एक गरीब घर की सुशील कन्या को अपनी धर्मपत्नी चुना । हिरोहितो को पश्चिमी सभ्यता के रंग में लाने की कोशिश की गई, लेकिन ऐसी रंगीनी को उन्होंने ठुकरा दिया । उनका मन अध्यात्मवाद की ओर मुड़ता गया उन्होंने सन्त सामाने जी को अपना आध्यात्मिक मार्गदर्शक चुना और स्वयं को पारमार्थिक लक्ष्य की ओर गतिशील बनाए रहे
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