' जिसके अंत:करण में सच्ची ईश्वर भक्ति उत्पन्न हो जाये वह सब में अपने प्रभु की झाँकी देखेगा और उनके साथ प्रेम एवं सज्जनता का व्यवहार करेगा | '
फ्रांस के सुविख्यात पादरी फादर ओवेपियर पेरिस में रहते थे । कड़कड़ाती सर्दी की एक रात जब वे सो रहे थे तो किसी ने दरवाजा खटखटाया । दरवाजा खोला तो एक व्यक्ति जिसके तन पर नाममात्र के वस्त्र थे, याचना की मुद्रा में खड़ा था l फादर ने कहा--- " कहो बेटे क्या बात है ? "
व्यक्ति ने कहा--- " फादर ठंड लग रही है, आज आपके मकान में शरण चाहता हूँ । " फादर ने उसके सोने, ओढ़ने का अच्छा प्रबंध कर दिया और रात भर वह चैन की नींद सोया । मौसम वैसा ही ठंडा था, वह व्यक्ति गया नहीं और न फ़ादर ने उसे जाने को कहा । इसके विपरीत कुछ और लोग वातावरण के गिरते तापमान के कारण फादर के पास आकर रहने लगे ।
फादर ने उन सबको कहा कि जाड़े की समस्या का स्थाई हल ढूंढें, इसके लिए हमें मकान बनाना होगा । फादर ने कहा---- " सामूहिक प्रयास में बहुत ताकत होती है । यदि शक्ति का सही उपयोग किया जाये तो क्रांतिकारी परिणाम सामने आ सकते हैं । "
फादर ने उन्हें पूरी योजना समझाई, इसके अनुसार बेघर लोगों ने शहर के कूड़े-कबाड़े में जो भी उपयोगी वस्तुएं थीं, उन्हें मरम्मत कर बाजार में बेचा । धीरे-धीरे काफी राशि इकट्ठी हुई और साफ बस्ती निर्माण की योजना साकार होने लगी । जन-सहयोग भी प्राप्त हुआ और लोगों ने फादर की सूझबूझ और बेघर लोगों की श्रमशीलता की मुक्त कंठ से सराहना की । इस नई बस्ती का नाम रखा गया--- ' रैग पिकर्स कालोनी ' अर्थात कूड़ा-करकट बटोरने वालों की बस्ती ।
फ्रांस के सुविख्यात पादरी फादर ओवेपियर पेरिस में रहते थे । कड़कड़ाती सर्दी की एक रात जब वे सो रहे थे तो किसी ने दरवाजा खटखटाया । दरवाजा खोला तो एक व्यक्ति जिसके तन पर नाममात्र के वस्त्र थे, याचना की मुद्रा में खड़ा था l फादर ने कहा--- " कहो बेटे क्या बात है ? "
व्यक्ति ने कहा--- " फादर ठंड लग रही है, आज आपके मकान में शरण चाहता हूँ । " फादर ने उसके सोने, ओढ़ने का अच्छा प्रबंध कर दिया और रात भर वह चैन की नींद सोया । मौसम वैसा ही ठंडा था, वह व्यक्ति गया नहीं और न फ़ादर ने उसे जाने को कहा । इसके विपरीत कुछ और लोग वातावरण के गिरते तापमान के कारण फादर के पास आकर रहने लगे ।
फादर ने उन सबको कहा कि जाड़े की समस्या का स्थाई हल ढूंढें, इसके लिए हमें मकान बनाना होगा । फादर ने कहा---- " सामूहिक प्रयास में बहुत ताकत होती है । यदि शक्ति का सही उपयोग किया जाये तो क्रांतिकारी परिणाम सामने आ सकते हैं । "
फादर ने उन्हें पूरी योजना समझाई, इसके अनुसार बेघर लोगों ने शहर के कूड़े-कबाड़े में जो भी उपयोगी वस्तुएं थीं, उन्हें मरम्मत कर बाजार में बेचा । धीरे-धीरे काफी राशि इकट्ठी हुई और साफ बस्ती निर्माण की योजना साकार होने लगी । जन-सहयोग भी प्राप्त हुआ और लोगों ने फादर की सूझबूझ और बेघर लोगों की श्रमशीलता की मुक्त कंठ से सराहना की । इस नई बस्ती का नाम रखा गया--- ' रैग पिकर्स कालोनी ' अर्थात कूड़ा-करकट बटोरने वालों की बस्ती ।
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