'आगे बढ़ने की अदम्य-आकांक्षा , आंतरिक उत्साह , ध्येय के प्रति अविचल निष्ठा मनुष्य को क्या से क्या बना डालते हैं , इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं ---- एच . जी . वेल्स ।
बचपन में एक दुर्घटना में उनकी एक टांग टूट गई थी , काफी इलाज के बाद भी ठीक नहीं हुई इस कारण उन्हें बहुत समय बिस्तर पर गुजारना पड़ता था । लेकिन उन्होंने अपनी असमर्थता का कभी रोना नहीं रोया , निराश नहीं हुए | दिल बहलाने के लिए अच्छी -अच्छी पुस्तकें पढ़ना आरम्भ
किया , साहित्य के प्रति उनकी रूचि बढ़ती गई , उनने अपनी भावनाओं को लेखनी का सहारा दिया
और एक दिन वह अंग्रेजी - साहित्य के विश्व - विख्यात लेखक बन गये ।
उनकी माँ गरीब थीं , अत: छोटी उम्र में वे एक कपड़े की दुकान पर काम करने लगे । काम करते
समय वे सोचते रहते थे कि कठिन से कठिन श्रम करूँगा और दुनिया को दिखा दूंगा कि भाग्य नहीं मनुष्य की कर्म निष्ठा प्रबल है । उनके ह्रदय में एक ऐसा व्यक्ति बनने की महत्वाकांक्षा थी
जो संसार प्रसिद्ध हो ---- जिसे सब आदर तथा श्रद्धा के साथ स्मरण करें और जो काल के भाल
पर अपने अमिट पद चिन्ह छोड़ जाये ।
इस दिशा में उन्होंने अपने प्रयत्न शुरू किये । सुबह से शाम तक वे दुकान पर काम करते शेष समय घर पर अध्ययन करते , दुकान पर भी पुस्तकें ले जाते , जितने समय ग्राहक नहीं आता वे अध्ययन करते । धीरे - धीरे उनने कहानियां लिखनी आरम्भ की ।
जब उन्हें पूर्ण विश्वास हो गया कि उनकी कहानियां लोगों को मनोरंजन एवं उल्लास देने के साथ उन्हें जीवन की एक दिशा देने में समर्थ हैं तब उन्होंने कहानियों का प्रकाशन आरम्भ कर दिया ।
जनता में उनकी कहानियों का भरपूर स्वागत हुआ इससे उनका उत्साह बढ़ा, अब उन्होंने उपन्यास लिखना आरम्भ किया इसमें भी उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त हुई ।
अपने अदम्य साहस, प्रबल मनोकामना , महत्वाकांक्षा , लगन , उत्साह , कठिन श्रम तथा आत्मविश्वास के बल पर वे सफलता प्राप्त कर सके ।
बचपन में एक दुर्घटना में उनकी एक टांग टूट गई थी , काफी इलाज के बाद भी ठीक नहीं हुई इस कारण उन्हें बहुत समय बिस्तर पर गुजारना पड़ता था । लेकिन उन्होंने अपनी असमर्थता का कभी रोना नहीं रोया , निराश नहीं हुए | दिल बहलाने के लिए अच्छी -अच्छी पुस्तकें पढ़ना आरम्भ
किया , साहित्य के प्रति उनकी रूचि बढ़ती गई , उनने अपनी भावनाओं को लेखनी का सहारा दिया
और एक दिन वह अंग्रेजी - साहित्य के विश्व - विख्यात लेखक बन गये ।
उनकी माँ गरीब थीं , अत: छोटी उम्र में वे एक कपड़े की दुकान पर काम करने लगे । काम करते
समय वे सोचते रहते थे कि कठिन से कठिन श्रम करूँगा और दुनिया को दिखा दूंगा कि भाग्य नहीं मनुष्य की कर्म निष्ठा प्रबल है । उनके ह्रदय में एक ऐसा व्यक्ति बनने की महत्वाकांक्षा थी
जो संसार प्रसिद्ध हो ---- जिसे सब आदर तथा श्रद्धा के साथ स्मरण करें और जो काल के भाल
पर अपने अमिट पद चिन्ह छोड़ जाये ।
इस दिशा में उन्होंने अपने प्रयत्न शुरू किये । सुबह से शाम तक वे दुकान पर काम करते शेष समय घर पर अध्ययन करते , दुकान पर भी पुस्तकें ले जाते , जितने समय ग्राहक नहीं आता वे अध्ययन करते । धीरे - धीरे उनने कहानियां लिखनी आरम्भ की ।
जब उन्हें पूर्ण विश्वास हो गया कि उनकी कहानियां लोगों को मनोरंजन एवं उल्लास देने के साथ उन्हें जीवन की एक दिशा देने में समर्थ हैं तब उन्होंने कहानियों का प्रकाशन आरम्भ कर दिया ।
जनता में उनकी कहानियों का भरपूर स्वागत हुआ इससे उनका उत्साह बढ़ा, अब उन्होंने उपन्यास लिखना आरम्भ किया इसमें भी उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त हुई ।
अपने अदम्य साहस, प्रबल मनोकामना , महत्वाकांक्षा , लगन , उत्साह , कठिन श्रम तथा आत्मविश्वास के बल पर वे सफलता प्राप्त कर सके ।
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