'सामन्त से सूफी हुए अमीर खुसरो जीवन के अंत तक प्रेम , शान्ति और समन्वय का पथ दर्शाते रहे '
अमीर खुसरो का जन्म 1256 में हुआ था , इनके पिता तुर्क थे और बहुत संपन्न थे अत: इनका पालन - पोषण सामन्ती वातावरण में हुआ था । अत: खुसरो का जीवन भी अन्य सामन्तों और राजदरबारियों जैसे राग - रंग और विलास भोग में लिप्त रहता था l
1273 में बीस वर्ष की आयु में खुसरो हजरत निजामुद्दीन औलिया के संपर्क में आये । जब उन्होंने सूफी सन्त की मस्ती और सूफी - सन्त का आनन्द देखा तो उस आनन्द के सामने अपने तमाम सामन्ती सुख उन्हें फीके लगने लगे और मात्र 20 वर्ष की आयु में खुसरो की जीवन - दिशा ने नया मोड़ ले लिया । उन्होंने हजरत निजामुद्दीन का शिष्यत्व ग्रहण किया और राज्याश्रय छोड़कर संगीत और काव्य के माध्यम से उनका सन्देश लोगों को सुनाते रहे ।
अमीर खुसरो ने फारसी भाषा के अतिरिक्त जन भाषा - हिन्दी में भी सशक्त साहित्य लिखा है । उन्होंने अपनी कविता में कई स्थानों पर शान से कहा है ---- मैंने हिन्द की खाक को अपनी आँख का सुरमा बना लिया है । शारीर से वे तुर्क घराने में जन्मे थे , तो संस्कारों से उनकी आत्मा भारतीय थी । कहा जाता है कि---- सितार का आविष्कार उन्होंने ही किया था और सामूहिक गान की कव्वाली शैली भी उन्ही के द्वारा प्रणीत है । संगीत में कविता के द्वारा नयी प्राण चेतना भरकर खुसरो ने कई अंत:करणों को जगाया और राजमहलों से लेकर झोंपड़ी तक नयी जीवन द्रष्टि पहुंचायी थी ।
अमीर खुसरो का जन्म 1256 में हुआ था , इनके पिता तुर्क थे और बहुत संपन्न थे अत: इनका पालन - पोषण सामन्ती वातावरण में हुआ था । अत: खुसरो का जीवन भी अन्य सामन्तों और राजदरबारियों जैसे राग - रंग और विलास भोग में लिप्त रहता था l
1273 में बीस वर्ष की आयु में खुसरो हजरत निजामुद्दीन औलिया के संपर्क में आये । जब उन्होंने सूफी सन्त की मस्ती और सूफी - सन्त का आनन्द देखा तो उस आनन्द के सामने अपने तमाम सामन्ती सुख उन्हें फीके लगने लगे और मात्र 20 वर्ष की आयु में खुसरो की जीवन - दिशा ने नया मोड़ ले लिया । उन्होंने हजरत निजामुद्दीन का शिष्यत्व ग्रहण किया और राज्याश्रय छोड़कर संगीत और काव्य के माध्यम से उनका सन्देश लोगों को सुनाते रहे ।
अमीर खुसरो ने फारसी भाषा के अतिरिक्त जन भाषा - हिन्दी में भी सशक्त साहित्य लिखा है । उन्होंने अपनी कविता में कई स्थानों पर शान से कहा है ---- मैंने हिन्द की खाक को अपनी आँख का सुरमा बना लिया है । शारीर से वे तुर्क घराने में जन्मे थे , तो संस्कारों से उनकी आत्मा भारतीय थी । कहा जाता है कि---- सितार का आविष्कार उन्होंने ही किया था और सामूहिक गान की कव्वाली शैली भी उन्ही के द्वारा प्रणीत है । संगीत में कविता के द्वारा नयी प्राण चेतना भरकर खुसरो ने कई अंत:करणों को जगाया और राजमहलों से लेकर झोंपड़ी तक नयी जीवन द्रष्टि पहुंचायी थी ।
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