' मनुष्य चाहे छोटे - से - छोटे काम में हाथ डाले , पर यदि वह उसे सच्चाई , ईमानदारी और नि:स्वार्थ भाव से पूरा कर दिखाता है , तो वह अवश्य लोगों की प्रशंसा और सम्मान का अधिकारी बन सकेगा इसके विपरीत जो केवल दिखावटी , चालाकी और धूर्तता के आधार आगे बढ़ने की चेष्टा करेगा और भीतर स्वार्थ की भावना रख कर ऊपर से नि:स्वार्थता का ढोंग करेगा , वह अगर लोगों के भ्रम में पड़ जाने से ' आदरणीय ' बन भी जाये , तो उसकी यह सफलता क्षणिक होगी । '
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