गौरक्षा की समस्या जिस प्रकार आज जटिल बनी है वैसी ही लगभग स्वामी दयानन्द सरस्वती के समय थी । उन्होंने अपनी पुस्तक ' गौ करूणानिधि ' में इस पर विस्तार से लिखा है । उन्होंने गौरक्षा का प्रश्न उसके ' गौमाता ' होने की द्रष्टि से नहीं उठाया , वरन आर्थिक कारणों से उसका समर्थन किया । उनका कहना था -- ' एक गाय के वध से चार लाख और एक भैंस के वध से बीस सहस्त्र मनुष्यों की हानि होती है l राजा - प्रजा की जितनी हानि इसकी हत्या से होती है , उतनी किसी भी दूसरे कर्म से नहीं होती l '
हम लोगों ने गौ की प्रशंसा के गीत तो बहुत गाये लेकिन उसके पालन - पोषण और वृद्धि पर बहुत कम ध्यान दिया l हमारे यहाँ जो गायों का मूल्य और सम्मान था वह हमने भुला दिया l आज यह गौ का पुजारी देश करोड़ों - अरबों रुपयों का शुष्क दूध उन देशों से क्रय करता है जिन पर गाय के विरोधी होने का आरोप है l यदि हम अपनी पुरातन सभ्यता संस्कृति जैसा मान गौ को अब भी देने लगें , पाश्चात्य देशों से गौ सेवा का सबक लें तो अपना यह देश पुन: उस स्थान पर पहुँच सकता है जहाँ पहले था l
गौ वह अमर धन है जिससे हमें संसार के चारों पदार्थ -- धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है l डॉ. ई. बी. मैकालम ( अमेरिका ) ने लिखा है ---- " जिन लोगों ने संसार में कुछ नाम कमाया , जो अत्यंत बली और वीर हुए , जिनके समाज में बाल - मृत्यु दर घट गई , जिन्होंने व्यापार धंधों पर अधिकार प्राप्त किया , जो साहित्य और संगीत कला का आदर करते हैं तथा जो विज्ञान व मानव बुद्धि की प्रत्येक दशा में प्रगतिमान है , वे वैसे लोग हैं जिन्होंने गौ के दूध और दूध से बने पदार्थों का स्वच्छंदता से उपयोग किया है । "
हम लोगों ने गौ की प्रशंसा के गीत तो बहुत गाये लेकिन उसके पालन - पोषण और वृद्धि पर बहुत कम ध्यान दिया l हमारे यहाँ जो गायों का मूल्य और सम्मान था वह हमने भुला दिया l आज यह गौ का पुजारी देश करोड़ों - अरबों रुपयों का शुष्क दूध उन देशों से क्रय करता है जिन पर गाय के विरोधी होने का आरोप है l यदि हम अपनी पुरातन सभ्यता संस्कृति जैसा मान गौ को अब भी देने लगें , पाश्चात्य देशों से गौ सेवा का सबक लें तो अपना यह देश पुन: उस स्थान पर पहुँच सकता है जहाँ पहले था l
गौ वह अमर धन है जिससे हमें संसार के चारों पदार्थ -- धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है l डॉ. ई. बी. मैकालम ( अमेरिका ) ने लिखा है ---- " जिन लोगों ने संसार में कुछ नाम कमाया , जो अत्यंत बली और वीर हुए , जिनके समाज में बाल - मृत्यु दर घट गई , जिन्होंने व्यापार धंधों पर अधिकार प्राप्त किया , जो साहित्य और संगीत कला का आदर करते हैं तथा जो विज्ञान व मानव बुद्धि की प्रत्येक दशा में प्रगतिमान है , वे वैसे लोग हैं जिन्होंने गौ के दूध और दूध से बने पदार्थों का स्वच्छंदता से उपयोग किया है । "
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